त्रिपुरा राज्य चुनाव आयुक्त जी के राव ने कहा, 30 सितम्बर को राज्य में तीन चरणों में होने वाले पंचायत और पंचायत समिती के चुनावों में त्रिपुरा में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी ने लगभग 96% सीटों पर निर्विरोध जीत दर्ज की है।
इस साल मार्च महीने में राज्य में विधानसभा के लिए कराए गए चुनाव में बीजेपी और सहयोगी दल इंडिजेनस पीपल्स फ्रंट ऑफ़ त्रिपुरा ने जीत दर्ज करने के बाद, 3000 से ज्यादा ग्राम पंचायत, पंचायत समिति और जिला परिषद् सदस्यों अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।
विरोधी पार्टिओं ने और सत्तामें बीजेपी का सहयोगी दल इंडिजेनस पीपल्स फ्रंट ऑफ़ त्रिपुरा ने, जोकि इस साल के पंचायत चुनाव में बीजेपी के विरुद्ध अपने उम्मीदवार उतरना चाहते थे। इन सभी ने बीजेपी पर आरोप लगाया हैं की उनकी पार्टियों के उम्मीदवारों को नामांकन भरने से बीजेपी की ओर से रोका गया।
चुनाव 3,207 ग्राम पंचायत, 161 पंचायत समिति और 18 जिला परिषदों के कुल 3,386 सीटों के लिए कराए जाने थे, लेकिन 3,247 सीटों पर सिर्फ भारतीय जनता पार्टी की ओर से उम्मीदवारों ने नामांकन भरे, इस लिए इन सीटों पर बीजेपी की निर्विरोध जीत हुयी हैं।
राज्य चुनाव आयुक्त जी के राव ने कहा, “अब चुनाव सिर्फ 132 ग्राम पंचायत और 7 पंचायत समितियों के लिए 30 सितम्बर को कराए जाएँगे।”
विपक्षी दलों के उम्मीदवारों को नामांकन भरने से रोके जाने पर पूछे गए सवाल पर चुनाव आयुक्त ने कहा, “यह हो नहीं सकता क्योंकि, जिन ऑफिसों में नामांकन भरा जाना था, उन जगहों से कोई भी इस प्रकार की घटना घटित होने की खबर नहीं मिली हैं।”
“ब्लाक डेवलपमेंट ऑफिसर जोकि ग्राम पंचायत और पंचायत समिति के लिए रिटर्निंग ऑफिसर थे या डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट जीकी जिला परिषद् चुनाव के लिए रिटर्निंग ऑफिसर के रूप में काम कर रहे थे, इन दोनों के खिलाफ एक भी कंप्लेंट दाखिल नहीं की गयी हैं। स्थानिक पुलिस के विरुद्ध भी एक भी कंप्लेंट चुनाव आयोग के पास दर्ज नहीं की गयी हैं।”
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के त्रिपुरा इकाई के सेक्रेटरी बिजन धार ने कहा, “पहले तो हमारे चुने हुए जनप्रतिनिधियों को इस्तीफा देने पर मजबूर किया गया, और जब हम हमारे उम्मीदवार चुनाव में उतरना चाहते हैं, तब उन्हें नामांकन भरने से भी रोका जा रहा हैं।”
त्रिपुरा बीजेपी के प्रवक्ता मृणालकाँटी देब ने कहा। “हमारे उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की हैं, क्योंकि एनी पार्टिओं द्वारा उम्मीदवारों को चुनाव में उतरा नहीं गया था। उनका(विपक्ष) संघीय ढांचा बीजेपी के सत्ता में आने के बाद से डगमगा चूका हैं, इसलिए लोगों ने उहे नाकारा हैं।”