सरकारी तेल कंपनियों को विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में तेजी से बढ़ते उपभोक्ताओं तक अपनी पहुंच बनाने के लिए एक साल के अंदर एलपीजी डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क में एक तिहाई विस्तार करना होगा। आप को जानकारी के लिए बता दें कि पिछले तीन सालों में रसोई गैस उपभोक्ताओं में तेजी से वृद्धि से हुई है। लेकिन इसकी तुलना में एलपीजी डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क में कोई इजाफा नहीं दिखा।
सरकार की कोशिश है कि बढ़ती आबादी को देखते हुए जल्द से जल्द एलपीजी गैस सिलिंडर की सुविधा सभी को उपलब्ध कराई जाए। इसके लिए सरकार ने आदेश जारी किये हैं कि देश में मौजूद एलपीजी वितरकों की संख्या जाए।
जाहिर है देश की दो तिहाई आबादी गाँवों में रहती है। ऐसे में बड़ी मात्रा में लोगों के पास रसोई में खाना पकाने के लिए सिलिंडर की सुविधा नहीं है। ऐसे इलाकों में लोग अभी भी लकड़ी और इंधन जलाकर रसोई चलाते हैं। लकड़ी आदि जलाने से पर्यावरण को भी काफी नुक्सान पहुँचता है, जो सरकार के लिए भी एक बड़ी समस्या है।
घरेलू गैस उपभोक्ताओं की संख्या में बढ़ोतरी
1 अप्रैल, 2015 और 30 सितंबर 2017 के बीच घरेलू गैस उपभोक्ताओं की संख्या में 44% की फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। जबकि एलपीजी वितरकों की संख्या सिर्फ पांच फीसदी बढ़कर 19,200 ही हुई है। तेल मंत्रालय के एक अधिकारी के अनुसार, सरकार ने तेल कंपनियों को आदेश दिया है कि एलपीजी वितरकों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी की जाए।
मार्च, 2019 तक होंगे 5000 नए एलपीजी वितरक
इस अधिकारी ने कहा कि सरकार के निर्देशानुसार मार्च 2019 तक 5000 से अधिक नए एलपीजी वितरक होंगे। सरकार पहले ही 2,000 नए लाइसेंस जारी कर चुकी है। इसके अतिरिक्त हाल के महीनों में करीब 600 आवेदकों का चयन किया गया है। जबकि मार्च 2018 तक 3400 आवेदकों का चयन कर उन्हें लाइसेंस दिया जाएगा।
आप को जानकारी के लिए बता दें कि किसी भी तेल कंपनी से लाइसेंस प्राप्त करने के बाद, आमतौर पर एक आवेदक के लिए एक रसोई गैस वितरण एजेंसी स्थापित करने के लिए लगभग एक वर्ष लग जाता है। जिसमें कई स्थानीय विनियामक मंजूरी प्राप्त करने से लेकर कार्यालय और गोदाम तैयार करना भी शामिल है।
इन राज्यों से होंगे ज्यादा नए एलपीजी वितरक
एलपीजी के नए वितरक मुख्यरूप से उन क्षेत्रों से आ रहे हैं, जहां रसाई गैस के नए उपभोक्ताओं की संख्या तेजी से बढ़ी है। नए एलपीजी वितरकों की संख्या विशेषरूप से उत्तर प्रदेश, बिहार, बंगाल, ओडिशा और महाराष्ट्र जैसे राज्यों से बनाई जानी तय है, क्योंकि इन्हीं राज्यों में रसोई गैस इस्तेमाल करने वालों की संख्या में तेजी से इजाफा देखा गया है।
तेल मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि इस बार हमनें एलपीजी वितरकों को जोड़ने का एक खास प्लान तैयार कर लिया है। उन्होंने कहा कि केवल जरूरतमंदों जगहों से एलपीजी वितरक जोड़ें जाएंगे, हम उन स्थानों से एक एलपीजी वितरक नहीं जोड़ेंगे जहां एलपीजी डिस्ट्रीब्यूटर्स पहले से मौजूद हैं।
पिछड़े ग्रामीण इलाकों के लिए आसानी
नए एलपीजी उपभोक्ता ज्यादातर ग्रामीण इलाकों तथा पिछड़ी पृष्ठभूमि से संबद्ध हैं, ऐसे में यह उपभोक्ता गैस खत्म होने के बाद होम डिलिवरी तो दूर की बात है, दूर दराज इलाकों में मौजूद एलपीजी डिस्ट्रीब्यूटर्स तक जल्दी पहुंच नहीं पाते हैं। ताकि खाना बनाने के लिए सिलेंडरों में गैस भरवा सकें।
ऐसे में यह उम्मीद जताई जा रही है कि यह सरकारी तेल कंपनियां ग्रामीण तथा पिछड़े इलाके में नए एलपीजी वितरक बढ़ाकर रसोई गैस उपभोक्ताओं की समस्याओं को आसान बना सकें। यही नहीं इन जगहों पर एलपीजी वितरकों के बढ़ने से गैस सिलेंडरों की बिक्री में वृद्धि देखने को मिलेगी।
एलपीजी गैस वितरक के लिए आवेदन करें
सरकार तेल कंपनियां जैसे हिंदुस्तान पेट्रोलियम, इंडेन आदि एलपीजी वितरकों के लिए लोगों की तलाश कर रही हैं। ग्रामीण इलाकों में लोग राजीव गांधी ग्रामीण एलपीजी वितरक योजना के तहत भी इस पद के लिए आवेदन कर सकते हैं। आप इसके लिए नजदीकी गैस कंपनी से संपर्क कर सकते हैं।