तेलंगाना राज्य के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने विधानसभा भंग करने का निर्णय किया है। राज्य के सभी राजनीतिक दलों को अचंबा में डालते हुए मुख्यमंत्री राव ने विधानसभा भंग करने का निर्णय ले लिया हैं और उस विषय में उन्होंने राजभवन जाकर राज्यपाल ई एस एल नरसिम्हन को पत्र सोंप दिया हैं।
संसद द्वारा पारित आंध्रप्रदेश रीआर्गेनाईजेशन एक्ट 2014 के लागू होने के बाद अस्तित्व में आए तेलंगाना राज्य की 119 सदस्यीय विधानसभा का कार्यकाल पूरा होने में अभी लगभग 9 महीने बाकी हैं।
राज्य मंत्रिमडल की 15 मिनट तक चली बैठक में सर्व संमती से विधानसभा भंग करने का निर्णय लिया गया हैं। लेकिन आलोचकों और सत्तारूढ़ तेलंगाना राष्ट्र समिति के समर्थकों के अनुसार सीएम के सी राव पिछले कुछ महीनों से विधानसभा भंग करने के बारें में सोच रहे थे।
कैबिनेट की बैठक के बाद मुख्यमंत्री, राज्यपाल ई एस एल नरसिम्हन से मिलने उनके आधिकारिक निवास राजभवन पहुंचे। मुख्यमंत्री और कैबिनेट द्वारा पेश किए गए इस प्रस्ताव को राज्यपाल द्वारा स्वीकार कर लिया गया। प्रस्ताव स्वीकार करने के बाद राज्यपाल नरसिम्हन ने विधानसभा भंग किए जाने की आधिकारिक घोषणा की और राज्य में चुनाव होने तक वर्तमान मुख्यमंत्री के सी राव को केयर टेकर चीफ मिनिस्टर के रूप में पदभार सँभालने की विनती की।
राज्यपाल की सहमती मिलने के तुरंत बाद, सरकार द्वारा विधानसभा के मुख्य सचिव को विधानसभा भंग करने के विषय में सूचित किया गया। और एक घंटे के अंतराल के बाद विधानसभा भंग किए जाने के सन्दर्भ में गॅझेट नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया।
आज घटित सभी घटनाओं का ब्यौरा देने के लिए पार्टी मुख्यालय तेलंगाना भवन में पत्रकार परिषद का आयोजन किया गया था। पत्रकारों को संबोधित करते हुए के चंद्रशेखर राव ने कहा, की विरोधी पार्टीओं की और से सरकार पर किए आरोपों के चलते वे अपने मुख्यमंत्री पद का त्याग कर रहे हैं।
“राज्य में राजनीतिक अस्थिरता का माहौल हैं। विरोधी पार्टीयां मुख्य रूप से कांग्रेस पार्टी सरकार पर बेबुनियाद आरोप लगाती रहीं हैं।”
उन्होंने इस ओर भी इशारा किया की सभी विरोधी दलों के बीच सरकार को घेरने के लिए रणनीति साझा की जा रही थी और सरकार पर भ्रष्टाचार ने तथ्यहीन आरोप भी किए जा रहे थे।
के सी राव ने विधानसभा भंग करने के निर्णय को पार्टी की ओर से किया गया त्याग बताया। सभी पार्टी विधायकों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा, “किसी एक विधायक ने भी मेरे निर्णय पर सवाल खड़े नहीं किए। मैं उन सभी विधायकों का आभारी हूँ।”
के सी राव ने उम्मीद जताई की राज्य में चुनाव राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और मिजोरम के विधानसभा चुनावों के साथ नवम्बर में कराए जाएँगे।