7 दिसंबर को तेलंगाना में होने वाले चुनाव के लिए मुस्लिम मतदाताओं के मन में उहापोह की स्थिति है। नए गठित राज्य में 3 करोड़ 65 लाख आबादी में 12 फीसदी मुस्लिम आबादी है जो ये तय नहीं कर पा रहा कि सत्ताधारी टीआरएस के साथ जाए या कांग्रेस गठबंधन के साथ।
राज्य के 119 सीटों में से 43 सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक स्थिति में हैं। इस 43 सीटों पर मुस्लिम मतदाताओं 10 फीसदी है। 2014 के विधानसभा चुनावों में दो तिहाई मुस्लिम वोट कांग्रेस के पक्ष में गए थे। लेकिन इस बार ये समुदाय असमंजस में है।
इस बार उनके असमंजस का कारण है एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी। असदुद्दीन ओवैसी इस बार खुले तौर पर टीआरएस का समर्थन कर रहे हैं। मुस्लिम उनपर भरोसा भी करते हैं। उन्ही में एक है यूनुस अहमद। यूनुस एक छात्र है जो दो घंटे से निर्मल एक रैली मे ओवैसी को सुनने के लिए इंतज़ार कर रहा है।
ओवैसी निर्मल में टीआरएस के उम्मीदवार के पक्ष में प्रचार करने आने वाले थे। यूनुस का कहना है कि उसे ओवैसी पर पूरा भरोसा है क्योंकि वो सिर्फ मुसलमानो के बारे में सोचते हैं। यूनुस को इस बात का जरा भी अंदेशा नहीं कि केसीआर चुनाव बाद भाजपा के साथ जा सकते हैं। वो कहता हैं कि इस बार असद भाई (ओवैसी) केसीआर के साथ हैं। वो केसीआर को भाजपा के साथ जाने से रोकेंगे।
वहीँ 26 वर्षीय आबिद अभी भी दुविधा में है कि किसे वोट देना है, टीआरएस को या कांग्रेस को? आबिद को डर है कि टीआरएस वही कर सकते हैं जो बिहार में नीतीश ने किया। भाजपा के खिलाफ लड़कर नीतीश फिर भाजपा के साथ चले गए।
आबिद कहते हैं कि उन्होंने कभी केसीआर को मोदी की खिलाफत करते नहीं सुना। केसीआर ने ट्रिपल तलाक का भी विरोध नहीं किया। एक तरफ जहाँ केसीआर मुस्लिमो की भलाई के लिए कई योजनाओं की घोषणा करते हैं वही दूसरी तरफ वो मोदी के लिए नरम रुख भी दिखाते हैं। देश भर में गौरक्षकों के उत्पात पर केसीआर चुप रहे। ये बाते आबिद को केसीआर पर भरोसा करने से रोकती है।
टीआरएस इस उम्मीद में है कि ओवैसी के अपील से उसे हैदराबाद और आसपास के क्षेत्रों में मुस्लिम वोट मिलेंगे और ये पहली बार है कि एआईएमआईएम किसी दूसरी पार्टी को वोट देने की अपील कर रही है।
निर्मल के अपने भाषण में ओवैसी केसीआर सरकार द्वारा मुस्लिमो के लिए शुरू किये गए सामाजिक योजना का जिक्र करते हैं और टीआरएस प्रत्याशी को वोट देने की अपील करते हैं।
कांग्रेस ये साबित करने में लगी है कि चुनाव के बाद टीआरएस भाजपा के साथ मिल जायेगी। कांग्रेस के अल्पसंख्यक सेल के अध्यक्ष कहते हैं कि जो भी योजनाएं इस वक़्त तेलंगाना में चल 2004 में कांग्रेस के वक़्त शुरू की गई थी। साथ ही वो टीआरएस की असफलता गिनाते हैं कि वो मुसलमानो के लिए 12 फीसदी आरक्षण लागू करने में असफल रही।
केसीआर जहाँ ओवैसी के अपील के सहारे मुस्लिम वोट पाकर सत्ता में आने की उम्मीद पाले बैठे हैं वहीँ कांग्रेस अपने परंपरागत वोटबैंक के छिटकने का रिस्क नहीं लेना चाहती।