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    तुर्की के राष्ट्रपति

    तुर्की के राष्ट्रपति रिचप तैयप एर्दोगन ने शुक्रवार को कहा कि “तुर्की जल्द सीरिया के आतंकियों का नामोनिशां मिटा देगा और उन्होंने नाटो सहयोगियों से आतंकवाद के खिलाफ अंकारा का समर्थन करने की मांग की है।” राजधानी अंकारा में इफ्तार के रात्रि भोज के बाद राष्ट्रपति ने कहा कि “हज़ारो बंदूके, वाहन और उपकरण उत्तरी सीरिया के आतंकी समूहों को मुहैया किये जाए जाते हैं जिसने हम लड़ाई कर रहे हैं।”

    उन्होंने कहा कि “हम जल्द ही सीरिया के आतंकी क्षेत्रों को साफ़ कर देंगे और 40 लाख सीरिया के नागरिकों को वापस घर जाने का मौका देंगे।” तुर्की के अधिकारीयों ने इशारे में कहा कि वाईपीजी क्षेत्र की आतंकियों का खतरा जारी रहा तो वह इसके खिलाफ सैन्य अभियान की शुरुआत करेंगे।

    अंकारा के आला अधिकारीयों ने उत्तरी सीरिया जी वाईपीजी आतंकियों से मुक्त सुरक्षित क्षेत्र की स्थापना के बाबत चर्चा शुरू कर दी है ताकि राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। दाएश का खात्मा करने के लिए अमेरीवा ने वाईपीजी का समर्थन किया था, जबकि इसका अंकारा ने सख्त विरोध किया था।

    एर्डोगन ने जोर देते हुए कहा कि “नाटो का सदस्य और रणनीतिक साझेदार होने के नाते तुर्की अपने सहयोगियों को गलत करने की इजाजत नहीं देगा। विशेषकर प्रतिबंधों को थोपने में, जो अमेरिका ने किया है। हम उन सभी की दोस्ती देखना चाहते हैं जो कहते हैं वो दोस्त है और उनका गठबंधन जो सहयोगी है।”

    राष्ट्रपति ने आतंकवाद से निपटने और पश्चिम में चरमपंथी अभियानों में वृद्धि के बाबत दो टूक बात कही है। उन्होंने कहा कि “वाईपीजे को सहन किया जाता है और समस्त यूरोप से समर्थन किया जाता है। वैश्विक स्तर के अन्यायपूर्ण व्यवहार, पक्षपातपूर्ण दृष्टिकोण, रूढ़िबद्ध नजरिये, भेदभाव, असहिष्णु और नफरत के भाषण फ़ैलाने के सबसे ज्यादा पीड़ित मुस्लिम ही है।”

    उन्होंने कहा कि “संयुक्त राष्ट्र और अन्य देशों को 15 मार्च के दिन को ‘इसमलमोफोबिया के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय एकजुटता दिवस’ घोषित कर देना चाहिए। ईयू की सदस्यता शुरुआत से ही हम पर निशाना साधने के लिए एक रणनीतिक विदेश नीति रही है।”

    तुर्की ने साल 1987 में ईयू की सदस्यता के लिए आवेदन किया था और बातचीत की शुरुआत साल 2005 में हुई थी। लेकिन साल 2007 में बातचीत ग्रीक साइप्रियात प्रशासन के सायप्रस विभाजित द्वीप और जर्मनी और फ्रांस के विरोध के कारण ठप पड़ गयी थी।

    सायप्रस मुद्दे के बाबत एर्डोगन ने कहा कि “सायप्रस और पूर्वी आभ्यन्तरिक में स्थिरता तभी मुमकिन है जब तुर्की और तुर्की रिपब्लिक ऑफ़ नॉर्थेर्न सायप्रस के हितो और अधिकारों का सम्मान होगा।” बीते हफ्ते तुर्की ने सायप्रस द्वीप के पश्चिम में स्थित समावेशी आर्थिक क्षेत्र में अपने जहाज फ़ातिह को भेजा था। तुर्की के इस कदम का अमेरिका और ईयू के देशों ने काफी विरोध किया था।

    एर्डोगन ने इजराइल-फिलिस्तीन के मामले पर कहा कि “मैं देशों को येरुशलम के प्रति अधिक संवेदनशील और प्रभावी दृष्टिकोण अपनाने का आग्रह करना चाहता हूँ। फिलिस्तानियों और उनकी जमीन के प्रति इजराइल की आक्रमकता का विरोध करने के लिए उन्होंने देशों से प्रभावी कार्रवाई की मांग की है। गाज़ा पर अपने अत्याचारों को छुपाने के लिए इजराइल मीडिया पर भी बम गिराने से नहीं हिचकिचायेगा।”

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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