सोमवार को तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैयप एर्दोगन (RECEP TAYYIP ERDOG) ने एक ऐसा ब्यान दिया जिसमें उन्हें इस्लाम का सहारा लेना पड़ा जिससे लीरा में आ रही लगातार गिरावट कुछ थम सके । उन्होंने इस ऐलान में लोगों से यह अपील की है कि तुर्की के लोग अपने पैसो की बचत लीरा में करें ना कि डॉलर्स में। इस बयान ने टर्किश लीरा को डॉलर के मुकाबले काफी मजबूत कर दिया है। गौतलब है कि तुर्की की मुद्रा पिछले एक साल से लगातार गिर रही थी।
दरअसल इस सन्देश को लोकजन तक पहुँचाने के लिए राष्ट्रपति एर्डोगन ने इस्लाम का सहारा लिया। एर्दोगन इन दिनों तुर्की की अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए कई तरह के प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने ब्याद दरों में कटौती की और उसे मुसलमान और इस्लाम से जोड़ दिया। उन्होंने अपने आलोचकों को जवाब देते हुए कहा कि,”वे कह रहे हैं कि हम ब्याज दरों को कम कर रहे हैं। मैं उनसे कहना चाहता हूं कि मुझसे आप यही उम्मीद कर सकते हैं। एक मुसलमान होने के नाते इस्लामिक कानून हमें जो इजाजत देता है, मैं वही करूंगा। मैं ऐसा करना जारी रखूंगा। इस्लामिक कानून यही है।”
एर्दोगन ने सोमवार को ऐलान में कहा था कि,”लीरा में बचत करने वालों को कोई नुकसान नहीं उठाना पड़ेगा।” लीरा की गिरती कीमत को देख लोगों ने डॉलर खरीदना शुरू कर दिया था। इससे तुर्की में डॉलर की मांग अधिक हो गयी, जबकि लीरा कमजोर होने लगी जिसे देख तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन एक्शन में आए और इस्लाम के हवाले से अपना ब्यान जारी किआ। उन्होंने लोगों से लीरा की जगह ‘डॉलर में बचत करना’ बंद करने की अपील की।
राष्ट्रपति एर्डोगन के ऐलान के कारण तुर्की की करेंसी ‘लीरा’ डॉलर के मुकाबले 25 फीसदी मजबूत हो गई। पहले एक डॉलर की कीमत करीबन 7.5 लीरा थी, वहीं दो दिन पहले यह अंतर बढ़कर 14 लीरा तक पहुंच गया था। एर्दोगन के ऐलान के बाद एक डॉलर की कीमत 11.41 लीरा हो गई है।
अमेरिका की पाबंदियों के कारण तुर्की की अर्थव्यवस्था इन दिनों संकट में है । दरअसल जो बाइडेन ने अपने शपथग्रहण के बाद सबसे पहले तुर्की पर ही आर्थिक प्रतिबंधों का ऐलान किया था। यह बता दें कि तुर्की अमेरिका की अगुवाई वाले सैन्य संगठन नाटो का हिस्सा है। उसने रूस से एस-400 वायु रक्षा प्रणाली की खरीद की है। तुर्की ने इस प्रणाली का परीक्षण किया है, जिसके परिणामस्वरूप अमेरिका ने तुर्की के ऊपर आर्थिक पाबंदियां लगा दी थी।