सोमवार को लोकसभा में राफेल विवाद पर भरी हो हल्ले के बीच सरकार ने तीन तलाक बिल पेश किया गया जिसका विपक्षी सांसद शशि थरूर ने विरोध किया। तीन तकाल को आपराधिक कृत्य घोषित करने वाला अध्यादेश 19 सितम्बर को ही पास हो चूका है।
यह बिल ट्रिपल तीन तलाक को निष्क्रिय और अवैध घोषित करता है। इस बिल में तीन तलाक देने वाले पतियों के लिए लिए तीन साल के दंडनीय कारावास का प्रावधान है। यदि ये बिल पास हो जाता है तो तीन तलाक एक दंडनीय अपराध बन जाता।
लेकिन कांग्रेसी सांसद शशि थरूर ने बिल का विरोध किया और दावा किया कि इसके जरिये एक धर्म विशेष को निशाना बनाया जा रहा है इसलिए यह बिल असंवैधानिक है। थरूर ने कहा “धर्म के आधार पर एक क़ानून बना कर वर्ग विशेष को निशाना बनाने की कोशिश हो रही है। सभी समुदायों को प्रभावित करने वाले पत्नियों और आश्रितों के प्रति दुर्व्यवहार और विलंब से जुड़े मुद्दे पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय यह बिल एक विशिष्ट धर्म के संदर्भ में जुड़ा हुआ है। इसलिए यह संविधान के अनुच्छेद 15 और 16 का उल्लंघन है।”
अनुच्छेद 15 धर्म, जाति, जाति, लिंग या जन्म स्थान के आधार पर भेदभाव को प्रतिबंधित करता है और अनुच्छेद 16 सार्वजनिक रोजगार के मामलों में अवसर की समानता प्रदान करता है।
उन्होंने आगे कहा “बिल का दुरुपयोग रोकने के लिए कोई प्रावधान नहीं है। इसलिए यह स्पष्ट रूप से मनमाने ढंग से है, और इसलिए संविधान के अनुच्छेद 14 (कानून से पहले समानता) और 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता संरक्षण) का उल्लंघन है।
उन्होंने कहा “मुझे विश्वास है कि बिल एक गलत बिल है जिसे सदन में नहीं लाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा आर्टिकल 13 (2) में कहा गया है कि “राज्य कोई भी ऐसा क़ानून नहीं बना सकता जिससे दूसरों के अधिकार का हनन हो। इसलिए ये क़ानून संसद में पेश नहीं होना चाहिए।”
थरूर की आपत्तियों को क़ानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने अस्वीकार कर दिया। उन्होंने कहा “सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह गलत, गैरकानूनी, असंवैधानिक था। इसके बावजूद तीन तलाक दिया जा रहा था। हमारी मुस्लिम महिलाएं चिंतित थीं। ‘तालाक, तालक, तालाक’ एक बार कहा जा रहा था और विवाह टूट रहे थे। व्हाट्सएप पर तलाक, अगर रोटी ठीक से नहीं पकाया गया तो तलाक। यही कारण है कि विचार-विमर्श के बाद इस बिल को लाया गया है।”
चाहे किसी भी धर्म की महिला हो उसे सामान अधिकार मिलना चाहिए, उसे प्रतिकार करने का अवसर मिलना चाहिए। ये बिल मुस्लिम समाज की महिलाओं के हित के लिए है।