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अमेरिका चीन

“रेसिप्रोकल एक्सेस टू तिब्बत एक्ट” यानी अमेरिकी तिब्बत कानून, जो हाल ही में कांग्रेस की मंज़ूरी के बाद राष्ट्रपति के समक्ष हस्ताक्षर के लिए भेजा गया था। आखिरकार अमेरिका की कथित तिब्बत की जनता की भलाई के लिए इस बिल कानून में परिवर्तित कर दिया गया है। अमेरिका ने यह कानून चीन को उसके कथित दावे वाले इलाके में चुनौती देने के लिए लाया गया था।

इस काननों के तहत तिब्बत में अमेरिकी राजनीतिज्ञों, पत्रकारों और आम जनता की आवाजाही का मार्ग खुल जायेगा। अमेरिका ने तर्क दिया था जैसे यहाँ चीन के नागरिक बेरोकटोक लुत्फ़ उठाते हैं, वैसे ही स्वायत्त तिब्बत में अमेरिकियों पर पाबन्दी का तुक नहीं बनता है। अलबत्ता चीन तिब्बत पर अपना अधिकार मानता है और अपना राज कायम करने के इच्छुक है।

अमेरिका में पारित तिब्बत कानून

अंतर्राष्ट्रीय तिब्बत अभियान के प्रमुख मत्टो मकाक्की ने कहा कि समानता, मानवधिकार और न्याय की परिभाषा समझने वाले तिब्बती और अमेरिकी नागरिकों के लिए यह बदलाव का संकेत हैं। उन्होंने कहा कि इस प्रभावशाली कानून को पारित करने के बाद अब चीनी सरकार को असल परिणाम का भान होगा, चीन दशकों से तिब्बती जनता के साथ भेदभाव करता रहा है। अमेरिका के इस कानून को पारित करने से चीन इसे स्वीकृति नहीं देगा।

अमेरिका के लगातार तिब्बत को समर्थन देने के बावजूद अभी तक दोनों देशों के मध्य कोई द्विपक्षीय समझौता नहीं है।

इस कानून की जरुरत

अमेरिकी अधिकारियों, पत्रकारों को तिब्बत में प्रवेश का अधिकार नहीं था, चीनी सेना तिब्बत में पर्यटन पर नियंत्रण रखती है। तिब्बत ने चीन पर हमेशा अत्याचार करने का आरोप लगाया था। चीन के अत्याचारों के कारण धार्मिक गुरु दलाई लामा भारत में निर्वासित है। उनका निर्वासन भारत और चीन के मध्य आज भी विवाद का कारण बना हुआ है। अमेरिका ने इस कानून को अपनी विदेशी रणनीति के तहत पारित किया था, ताकि चीन पर इंडो-पैसिफिक को मुक्त और खुला बनाने के लिए दबाव बनाया जा सके।

चीन को मात देने के लिए तिब्बत एक महत्वपूर्ण स्थान है, पत्रकारों, राजनीतिज्ञों और आम जनता की आवजाही से चीन पर निगरानी रखना आसान हो जायेगा हालांकि इस कानून पर चीन का प्रतिकार अभी बाकी है। जो दशकों से तिब्बत पर अपने आधिपत्य का दावा करता हैं।

चीन ने अपनी सैन्य और आर्थिक ताकत के बलबूते तिब्बत को अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से दूर रखा है, यहाँ तक की अपने सहयोगियों से तिब्बत के साथ हर सम्बन्ध खत्म करने के लिए मजबूर भी किया है। इस कानून के पारित होने से चीन के तिब्बत में शोषण की कई रहस्यों का खुलासा होगा।

इस रिपोर्ट के तहत अमेरिकी राज्य सचिव अधिकारी तिब्बत में जांच कर 90 दिनों में रिपोर्ट तैयार करेगा और कांग्रेस के सुपुर्द करेगा, क्या वाकई चीनी अधिकारी अमेरिकी अधिकारियों को तिब्बत में प्रवेश करने में बाधा डालते हैं। इसके बाद सचिव उन चीनी अधिकारियों पर अमेरिका में प्रवेश करने पर प्रतिबन्ध लगाने में समर्थ होगा।

अमेरिकी कानून से चीन को अपनी तिब्बत पोलिसी में बदलाव करने पड़ सकता हैं, लेकिन इसकी संभावनाएं कम ही दिखती है। हाल ही में अमेरिकी राज्य सचिव ने कहा था कि उत्तर कोरिया और रूस से बाधा खतरा अमेरिका के लिए चीन है।

इस कानून के समर्थकों के मुताबिक चीन ने तिब्बत पर तानाशाह की तरह हुकूमत की है, निरंतर मानवधिकार का उल्लंघन किया है। यह चीन के शासन के पतन की शुरुआत है, उन्होंने कहा कि हम सुनिश्चित करेने की यह बिल जल्द अमल में लाया जाये ताकि समस्त दुनिया के नागरिक और पत्रकार देश की स्थिति का भालीभाती आंकलन कर सके।

अमेरिका ने इस बिल के बाबत ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, कनाडा, और यूरोप के कई देशों से बातचीत कर ली है, जिन्होंने इस कानून को स्वीकृति प्रदान की है।

By कविता

कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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