तालिबान ने गुरूवार को कहा कि “अफगानी सरकार के अधिकारीयों के साथ मॉस्को में शान्ति वार्ता में सभ्य प्रगति हुई है। इस वार्ता का मकसद अफगानिस्तान में 18 वर्षो से जारी जंग को समाप्त करना था।
अल जजीरा के मुताबिक तालिबान ने कहा कि “प्रगति के बावजूद बातचीत में कोई अहम मोड़ नहीं आया है और अधिक बातचीत की जरुरत है।”
प्रमुख वार्ताकार मुल्ला बरादर अखंड के नेतृत्व में तालिबानी प्रतिनिधि समूह ने अफगानी अधिकारीयों से मुलाकात की थी इसमें वरिष्ठ क्षेत्रीय नेता और उम्मीदवार भी शामिल थे। और वह इस वर्ष के राष्ट्रपति चुनावो में राष्ट्रपति अशरफ गनी को चुनौती देने की योजना बना रहे हैं। यह अफगानी जंग के अंत के लिए एक कूटनीतिक प्रयास है।
बरादर ने कहा कि “इस्लामिक अमीरात शांति चाहते हैं लेकिन पहला कदम शान्ति की राह में अटके रोड़ो को हटाना है और अफगानिस्तान में अवैध कब्जे को हटाना है।” सितम्बर 2001 के हमले के बाद तालिबान के शासन को अमेरिकी समर्थित सेना ने उखाड़ फेंका था।
मंगलवार को रूस के विदेश मंत्री सेर्गेय लावरोव ने मॉस्को में वार्ता की शुरुआत की थी। उनके मुताबिक, अफगानिस्तान में सुलह ही शान्ति स्थापित करने का एकमात्र संभव परिदृश्य है। सम्मेलन के इतर तालिबान के प्रतिनिधियों ने अपनी स्थिति को दोहराया कि अफगानी मुल्क में विदेशी सेनाओं की मौजूदगी के दौरान संघर्षविराम नहीं हो सकता है।
तालिबान के राजनीतिक प्रमुख शेर मोहम्मद अब्बास स्तानिकजई ने कहा कि “कोई अन्य विकल्प संभव नहीं है।” तालिबान के अधिकारीयों ने अमेरिकी कूटनीतिज्ञों के सामने 23000 से अधिक अमेरिकी और नाटो की सेना को अफगानी सरजमीं से वापस बुलाने की शर्त रखी थी।
दोनों पक्ष कई मसलो पर मसौदा प्रस्ताव पर पहुंच गए थे लेकिन अगले चरण की बातचीत के लिए कोई भी तारीख तय नहीं की गयी और कई बाधाये अभी शेष है। तालिबान सीधा अफगानी सरकार से बातचीत के लिए इंकार करता है क्योंकि वह गनी सरकार को अमेरिका के हाथो की कठपुतली कहता है।