पाकिस्तान विश्व में अपनी बिगड़ती अर्थव्यवस्था और आतंकवाद के लिए चर्चाओं में है। पाकिस्तान पर कई राष्ट्र आतंकी समूह तालिबान और अन्य आतंकवादियों के पनाहगार होने के इलज़ाम लगा चुके हैं और आए दिन वहां आतंकियों के मरने और मारने की खबर आती रहती है। ख़बरों के मुताबिक पाकिस्तान में तालिबान के गॉडफादर कहे जाने वाले मौलाना समीउल हक की उनके रावलपिंडी निवास में चुरा घोंपकर हत्या कर दी थी।
82 वर्षीय समीउल हक खैबर पख्तुन्वा के इस्लामिक धार्मिक दारूल उलूम हक्कैना का सरताज था और सियासी दल जमीअत-उलेमा-ई-इस्लामी-सामी के प्रमुख भी थे। समीउल हक के परिवार ने बताया कि वह हृदय रोग से पीड़ित थे, वह अपने कमरे में आराम कर रहे थे की तभी कुछ अज्ञात हमलावरों ने उनकी हत्या कर दी थी।
समीउल हक के बेटे हामिद ने बताया कि उनका निजी सुरक्षाकर्मी बाज़ार गया हुआ था, जब गार्ड वापस आया तो चारों तरफ खून फैला हुआ था। समीउल हक के सियासी दल के पेशावर के अध्यक्ष ने भी उनकी मौत की पुष्टि की है। हालांकि मौलाना हक़ के हत्या के तरीके पर विवाद चल रहा है, कुछ ख़बरों के मुताबिक उनकी मौत गोलीबारी में हुई है। हालांकि मौलाना के बेटे ने बताया कि मौत चाक़ू के वार से हुई है।
समीउल हक की मौत की जिम्मेदारी अभी किसी संगठन ने नहीं ली है। मौलाना हल पाकिस्तान के दल इस्लामी जम्हूरी के टिकट पर दो बार संसद के सदय रहे थे. मौला का नाता हफीज सईद की जमात उद दावा के आलावा पाकिस्तान में प्रतिबन्धित सिपाह ए सभा से भी नाता था. मौलाना के अकोरा खट्टक में स्थित मदरसे में अफगान के प्रमुख आतंकियों ने तालिन हासिल की है. हक्कानी, तालिबान और अल कायदा जैसे आतंकी समूहों के प्रमुख इस मदरसे से जुड़े थे. इस मदरसे को ‘यूनिवर्सिटी ऑफ़ जिहाद’ भी कहा जाता है.
बहरहाल पाकिस्तान के मंत्री ने मौलाना की मौत की पुष्टि करते हुए कहा कि धार्मिक और राजनीतिक कार्यों के लिए उन्हें हमेशा याद रखा जायेगा.