अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने शनिवार को तालिबान को मुल्क में अपना दफ्तर स्थापित करने का प्रस्ताव दिया था। हालांकि इस प्रस्ताव को चरमपंथी समुदाय ने ठुकरा दिया था आतंकी समुदाय अफगानी सरकार को शान्ति वार्ता से दूर रखना चाहता है। अशरफ गनी को महसूस हो गया है कि तालिबान उसके प्रशासन को वार्ता से दूर करने के मंसूबे पाले बैठा है। हाल ही में मास्को में हुई बैठक में अफगानिस्तान के विपक्षी नेताओं से तालिबान ने बातचीत की थी।
नांगरहार की यात्रा के दौरान अशरफ गनी ने कहा कि “अगर तालिबान मुल्क में अपना एक दफ्तर चाहता है तो हम कंधार या नांगरहार कही भी उसे कल तक जगह दे देंगे। पाकिस्तान से सटे इस इलाके में आतंकियों की हिंसा जारी रहती है।” उन्होंने कहा कि हम मुल्क में स्थायी और सम्माननीय शान्ति शांति लाना चाहते हैं।
नांगरहार तालिबान के कब्जे में हैं और इसके आप पास के कई जिलों पर भी तालिबान ने अपना कब्ज़ा स्थापित कर दिया है। 17 वर्षों से अधिक समय तक जारी इस जंग में तालिबान ने देश में अपने पाँव पसारे हैं और आधे से अधिक मुल्क पर अपना नियंत्रण कायम किया है।
मास्को में आयोजित बैठक में तालिबान ने एक आधिकारिक दफ्तर की स्थापना की बात पर ज़ोर दिया था। साथ ही उन्होंने मांग की थी कि तालिबानी सदस्यों के पश्चिमी देशों द्वारा लगे प्रतिबंधों को हटाया जाए और साथ ही तालिबानी सदस्यों, रिहा कैदियों पर से यात्रा प्रतिबन्ध हटाए जाए और संगठन के खिलाफ कोई प्रोपोगेंडा न बनाया जाए।
तालिबान के प्रवक्ता ने रविवार को कहा कि अशरफ गनी अपने हालिया प्रस्ताव से शान्ति प्रयासों में खलल डालना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि “आधिकारिक राजनितिक दफ्तर पर हमारी मांग स्पष्ट है, हम दोहा में स्थापना करना चाहते हैं जो अंतर्राष्ट्रीय समुदाय और संयुक्त राष्ट्र को रज़ामंदी पर आधारित हो। इस प्रस्ताव से गनी टॉपिक को बदलने का प्रयास कर रहे हैं और जारी शांति वार्ता को नुकसान पंहुचाना चाहते हैं।