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    तालिबान ने अमेरिकी और नाटो सैनिकों के अफ़ग़ानिस्तान से निकलने के साथ ही एक आक्रामक की शुरुआत की है। इसके चलते तालिबान ने देश की पहली प्रांतीय राजधानी पर कब्जा कर लिया है। शुक्रवार को अफ़ग़ानिस्तान के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पुष्टि की। विद्रोहियों के खिलाफ शहरों का बचाव कर रही सरकार के लिए यह एक बड़ा मनोवैज्ञानिक झटका है।

    डिप्टी गवर्नर रोह गुल खैरजाद ने बताया कि, “निमरोज की प्रांतीय राजधानी जरंज शहर तालिबान के कब्जे में आ गया है।” उन्होंने कहा कि यह शहर – ईरानी सीमा के पास दक्षिण-पश्चिम अफगानिस्तान में – “बिना किसी लड़ाई के” तालिबान के कब्ज़े में आ गया है। सोशल मीडिया वीडियो में विद्रोहियों को सड़कों पर घूमते और ख़ुशी मनाते हुए देखा गया। हालांकि, वीडियो की सत्यता की तत्काल पुष्टि नहीं की जा सकी।

    जरांज का पतन उसी दिन हुआ जब तालिबान ने अफगान सरकार के मीडिया सूचना विभाग के प्रमुख की हत्या की जिम्मेदारी ली थी। विद्रोहियों ने कुछ दिन पहले ही चेतावनी दी थी कि वे बढ़े हुए हवाई हमलों के जवाब में प्रशासन के वरिष्ठ लोगों को निशाना बनाएंगे। सरकार की प्रमुख आवाजों में से एक दावा खान मेनपाल की हत्या लड़ाई के एक और खूनी दिन के बाद हुई और अब यह युद्ध काबुल में तेजी से फैल रहा था।

    संघर्ष पर चर्चा के लिए न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक के दौरान दक्षिण-पश्चिमी अफगानिस्तान से भी खबरें आ रही हैं। आंतरिक मंत्रालय के प्रवक्ता मीरवाइस स्टानिकजई ने मेनापाल की हत्या के बारे में कहा की, “दुर्भाग्य से बर्बर आतंकवादियों ने एक बार फिर कायरतापूर्ण कृत्य किया है और एक देशभक्त अफगान को शहीद कर दिया है।”

    मेनापाल काबुल के मीडिया समुदाय में लोकप्रिय थे और सोशल मीडिया पर तालिबान से भिड़ने के लिए जाने जाते थे। यहाँ तक कि कई बार मज़ाक में भी वे तालिबान से सोशल मीडिया पर भिड़ चुके थे। हत्या की जिम्मेदारी लेते हुए तालिबान प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने मीडिया को एक संदेश भेजकर कहा कि “वह मुजाहिदीन द्वारा किए गए एक विशेष हमले में मारे गए हैं।”

    By आदित्य सिंह

    दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास का छात्र। खासतौर पर इतिहास, साहित्य और राजनीति में रुचि।

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