अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने दावा किया कि अफगानिस्तान में शांति वार्ता की शुरुआत का कारण अमेरिकी सैन्य दबाव है। अफगानी सरजमीं पर 18 वर्ष से जारी संघर्ष का अंत इस शांति वार्ता समझौते से मुमकिन है। डोनाल्ड ट्रम्प ने बीते माह कहा था कि भार्र्ता और रूस जैसे देशों को अफगान विवाद के अंत में अधिक सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए।
डोनाल्ड ट्रम्प ने ट्वीट कर कहा कि “हमने अफगानिस्तान में 50 अरब डॉलर प्रति वर्ष खर्च किये हैं और आज 18 वर्षों के बाद हम शांति वार्ता पर बातचीत कर रहे हैं।” उन्होंने सीरिया और अफगानिस्तान में युद्ध को खत्म करने की बात को दोहराया। उन्होंने कहा कि “अफगानिस्तान और सीरिया में यह अव्यवस्था मुझे विरासत में मिली है, बेहिसाब खर्च और मृत्यु कभी न खत्म होने वाली जंग का हिस्सा था, आखिरकार जंग का अंत होने जा रहा है।”
हाल ही अमेरिका के विशेष राजदूत ज़लमय खलीलजाद ने तालिबान के प्रतिनिधियों के साथ क़तर में छह दिनों तक बातचीत की थी। ज़लमय खलीलजाद ने इस मुलाकात के बाद वार्ता में सार्थक प्रगति का बयान दिया था। अफगानी राष्ट्रपति अशरफ गनी ने जंग के हालातों से जूझ रहे देश से अमेरिकी सैनिकों की वापसी पर अपनी चिंता जाहिर की थी।
हालांकि डोनाल्ड ट्रम्प ने अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकं की वापसी की कोई समयसीमा नहीं जारी की है। उन्होंने पूर्व में कहा था कि वह अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी चाहते हैं।
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा कि “सीरिया में आईएसआईएस भरे हुए थे जब तक हम साथ नहीं आये। हम जल्द ही 100 फीसदी खलीफाओं का विनाश कर देंगे, हम उन पर निगरानी रखेंगे। अब घर वापसी का समय आ गया है और कई वर्षों बाद हम अपना पैसा बुद्धिमानी से निवेश करेंगे।”
डोनाल्ड ट्रम्प का समर्थन करते हुए सांसद ने कहा कि “हम इस युद्ध का अंत करने और अपने देश को दोबारा विकसित कर्ण एके लिए हम आपके साथ खड़े हैं। आप किसी की आलोचनाओं को मत सुनिए, आपने सही निर्णय लिया है।
ज़लमय खलीलजाद ने कहा था कि अभी तक कोई अधिकारिक समझौता नहीं हुआ है, अभी सीजफायर और तालिबान व अफगान सरकार के मध्य बातचीत का मसला बाकी है।