वांशिगटन के शान्ति राजदूत ज़लमय खलीलजाद ने सोमवार को कहा कि “अगर तालिबान के साथ शान्ति समझौते पर पंहुच जाते हैं तो अफगानिस्तान से अमेरिका करीब 5000 सैनिको की 135 दिनों में पांच ठिकानो से वापस बुलाएगा। दोनों पक्षों के बीच हाल ही में नौवे चरण की वार्ता हुई थी।”
टोलो न्यूज़ को दिए इंटरव्यू में ज़लमय खालिलाद ने कहा कि “अमेरिका और तालिबान समझौते के सिद्धांत पर पंहुच चुके हैं। अब हम राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की मंज़ूरी का इंतज़ार कर रहे हैं।” खलीलजाद ने कहा कि “हाँ, हम समझौते पर पंहुच चुके हैं। बिल्कुल, यह अंतिम नहीं है जब तक अमेरिकी राष्ट्रपति इसकी मंज़ूरी नहीं दे देते हैं।”
अमेरिका के अभी अफगानी सरजमीं पर 14000 सैनिक मौजूद है और अब इसकी संख्या को गिराकर न्यूनतम स्तर पर लाया जा रहा है। अफगानिस्तान में बीते 18 सालो से जंग जारी है और यह अमेरिका की सबसे लम्बी जंग है। साल 2011 में यह आंकड़ा उच्च स्तर पर पंहुचकर 100000 हो गया था और साल 2017 में यह 8300 था।
प्रमुख अमेरिकी वार्ताकार ने कहा कि “अमेरिका इस्लामिक साम्राज्य की वापसी को स्वीकार नहीं करेगा।” यह तालिबान के शासन की तरफ इशारा था। सरकारी बलों ने दो दिन पहले वाडरेज, यमगन और करन वा मुंजन जिलों में तालिबान के ठिकानों के खिलाफ हवाई हमले किए, जिसमें अब तक 45 विद्रोही मारे गए हैं और 15 अन्य घायल हैं।
क़तर की राजधानी दोहा में अमेरिका और तालिबान के बीच शान्ति वार्ता के पांचवे दिन यह निर्णय लिया गया था। तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने कहा कि “इस चरम में हमें प्रगति की है तो हम शेष बिन्दुओं को अन्तिक रूप दे रहे हैं। जैसे ही शेष बिन्दुओं को अंतिम रूप दे दिया जायेगा, इस समझौते का खुलासा कर दिया जायेगा।”