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    तालिबान और अमेरिका की वार्ता शुरू

    अमेरिका और तालिबान के अधिकारीयों ने बुधवार को क़तर में वार्ता की शुरुआत कर ली है जिसका मकसद देश को 17 वर्षों की जंग से निजात दिलाना है। हालाँकि शान्ति वार्ता में अफगानी सरकार अपनी भूमिका भी चाहती है। तालिबान ने बयान जारी कर कहा कि “अफगानिस्तान में शान्ति के विशेष अमेरिकी राजदूत जलमय ख़लीलज़ाद ने तालिबान के प्रमुख मुल्ला अब्दुल गनी बार्डर से मुलाकात की थी जो चरमपंथी गुट का प्रतिनिधित्व कर रहे थे।”

    तालिबान-अमेरिकी वार्ता

    तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने कहा कि “अफगान मसले के शांतिपूर्ण समाधान के महत्वपूर्ण पहलुओं पर विचारो को साझा किया गया था।” अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प दशकों की जंग को खत्म करने के लिए यह प्रयास कर रहे हैं। 11 सितम्बर 2001 में अमेरिका के ट्रेड सेंटर पर हमला हुआ था और इसके बाद अमेरिकी समर्थित सेना ने तालिबान को खदेड़ दिया था।

    अक्टूबर से अमेरिका और तालिबान के अधिकारीयों ने कई दफा बातचीत की है। इसमें अमेरिका ने अफगानी सरजमीं से अमेरिकी सैनिको की वापसी का वादा किया था और बदले में तालिबान ने चरमपंथियों को अफगानिस्तान का इस्तेमाल बाकी दुनिया को न डराने की गारंटी दी थी।

    उन्होंने कहा कि “इस वार्ता में दो महत्वपूर्ण बिंदु है, एक अफगानी सरजमीं से विदेशी सैनिको की वापसी और दूसरो को नुकसान पंहुचाने के लिए अफगानिस्तान की सरजमीं का इस्तेमाल न होने देना, यह तय है और यह अन्य मसलों के पहलुओं को सुझाने के रास्तो को खोलेगा और हम इससे पहले किसी दुसरे मसले को नहीं उठाएंगे।”

    अफगान प्रतिनिधि नहीं शामिल

    एक अधिकारी के मुताबिक, पहले राउंड में ख़लीलज़ाद संघर्षविराम का ऐलान करने के बाबत बातचीत करेंगे ताकि संघर्ष को रोका जा सके। युद्ध के अंत के लिए तालिबान को अफगान से अफगान वार्ता के लिए चरमपंथियों को प्रोत्साहित करेंगे। मुजाहिद के मुताबिक, इस वार्ता में अफगान प्रतिनिधियों की उपस्थिति वर्जित है। अमेरिकी-तालिबान की बैठक में कोई तीसरा पक्ष शामिल नहीं होगा लेकिन कुछ क़तर के अधिकारी मेज़बान के तौर पर उपस्थित होंगे।”

    इस हफ्ते अफगानी राष्ट्रपति ने लाया जिरगा के सत्र की शुरुआत की है जिसमे तालिबान के साथ शान्ति वार्ता की शर्तो को तय किया जायेगा। बीते माह अफगान और तालिबान के बीच शान्ति वार्ता का आयोजन होना था लेकिन विवाद के कारण इस एरडड कर दिया गया था।

    जिरगा में 34 प्रांतो से 3200 आदिवासी, राजनेता और सामुदायिक व धार्मिक नेता शामिल होंगे लेकिन विपक्षी दलो ने इस बहिष्कार किया है। उनके मुताबिक, गनी अगले चुनावो में अपनी स्थिति को मज़बूत करने के लिए इस मंच का इस्तेमाल कर रहा हैं। नाटो के अभियान के तहत अफगानिस्तान में अमेरिका के 14000 सैनिक उपस्थित है।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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