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    अमेरिका और तालिबान

    अफगानिस्तान में रूस और अमेरिका की ताकत के प्रदर्शन के कारण हालात दिन ब दिन बदतर होते जा रहे है। अफगान में चरमपंथी समूह ने ऐलान किया कि तालिबान के प्रतिनिधि समूह क़तर में अमेरिकी राजदूत से मुलाक़ात करेंगे। सऊदी अरब और पाकिस्तान ने अफगानिस्तान के सबसे खतरनाक चरमपंथी समूह को बातचीत के लिए राजी किया है।

    मीडिया खबरों के मुताबिक अमेरिकन राजदूत तालिबान के समूह से शुक्रवार को दोहा में मुलाकात करेगा। तालिबान के प्रवक्ता ने कहा कि अफगानिस्तान में शांति के लिए शांतिपूर्ण वार्ता की जाएगी। उन्होंने साफ किया कि अफगानिस्तान में अन्य राष्ट्रों की सेना की मौजूदगी शांति में सबसे बड़ा रोड़ा है। उन्होंने कहा दोनों देश बातचीत को राज़ी है।

    जुलाई से तालिबान अमेरिकी नेताओं से लगातार मुलाकात करता रहा है। इन बैठकों की पुष्टि नहीं हो पाई लेकिन भविष्य में अधिक मुलाकातों की योजना है।

    पिछले 17 सालों से चल रहे इस युद्ध को रोकने के लिए तालिबान और अफगान सेना ने जून में बातचीत की थी। तालिबान समूह लंबे वक्त से अमेरिकी नेताओं से मुलाकात की बात करता रहा है हालांकि वांशिगटन इसे नकारता रहा है।

    इस समूह के दबाव में अमेरिका ने हथियार डाल दिये और बयान दिया कि अमेरिका शांति वार्ता में शामिल होने को तैयार है।

    अफगानिस्तान के राजनीतिक विशेषज्ञ के मुताबिक ये तालिबान की जीत है क्योंकि काफी वक्त से वे अमेरिका से मिलने की मांग कर रहे थे और अन्तः मुलाकात हो जाएगी।

    अमेरिकी राजदूत के पद पर तैनात होने के बाद ख़लीलज़ाद की ये पहली अफगान यात्रा है। सोमवार को वह अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी और वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात करेंगे।

    तालिबान ने बयान दिया कि अगर अमेरिका आर्थिक मदद करता है तो आगामी संसदीय चुनाव में अफगानी सेना पर हमला करेंगे।

    अमेरिकी राजदूत ख़लीलज़ाद अफगानिस्तान में जन्मे हैं।वे बगदाद, काबुल और यूएन में अमेरिकी राजदूत के पद पर थे।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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