तालिबान और अफगानिस्तान की सरकार के बीच वार्ता शुक्रवार को अनिश्चितकालीन के लिए स्थगित कर दी है और इससे 17 वर्षों की जंग को खत्म करने के प्रयासों को झटका लग सकता है। अफगान सरकार और तालिबानी अधिकारीयों के मध्य इस सप्ताह के अंत में दोहा में वार्ता का आयोजन होना था। काबुल एक बड़े स्तर के प्रतिनिधियों को भेजना चाहता था।
वार्ता स्थगित
अफगानिस्तान में 17 वर्षों की जंग को खत्म करने का प्रयास करने वाले अमेरिका के लिए यह बेहद निराशाजनक है और उन्होंने दोनों से वार्ता शुरू करने का आग्रह किया है हालाँकि आयोजनकर्ताओं की तरफ से वार्ता की बहाली का कोई संकेत नहीं मिल रहा है।
इस समरोह की मेज़बानी करने वाले समूह के प्रमुख सुल्तान बराकत ने बयान में कहा कि “इस समरोह में कौन शामिल होना चाहिए इसके लिए इसे स्थगित करना जरुरी था।” राष्ट्रपति अशरफ गनी के प्रशासन ने मंगलवार को 205 लोगो की सूची जारी की थी जिसमे सरकारी मुलाजिम भी शामिल थे।
तालिबान के मुताबिक, यह बेहद लम्बी सूची थी और यह सामान्य नहीं है। उन्होंने कहा कि “हमारी इतने सारे लोगो से मिलने की कोई योजना नहीं है। इस सम्मेलन का निमंत्रण कोई काबुल के होटल में निकाह समारोह या जश्न नहीं है जो इतने लोग आएंगे।”
शान्ति एक लम्बी प्रक्रिया
वांशिगटन में विल्सन सेंटर के विश्लेष्क माइकल कुगल्मैन ने कहा कि “वार्ता का स्थगित होना शान्ति प्रक्रिया तक पंहुचने के कठोर रास्ते की तरफ इंगित करता है। अव्यवस्था और उसके रोग यह प्रदर्शित करते हैं कि सुलह प्रक्रिया कितनी लम्बी और मुश्किल होने वाली है।”
तालिबान वार्ता से कई लोगो ने भी अपना नाम वापस ले लिया था कर आरोप लगाया कि इतनी लम्बी सूची राष्ट्रपति को मज़बूत करने के इरादे से रखी गयी है। दोहा की वार्ता तालिबान और अमेरिकी प्रतिनिधियों की मुलाकात से भिन्न थी। फरवरी में मॉस्को में आयोजित सम्मेलन में चरमपंथियों ने अफगानी अधिकारीयों से सीधे बातचीत के लिए इंकार कर दिया था।
अमेरिका के विशेष प्रतिनिधि जलमय ख़लीलज़ाद इस सम्मेलन के स्थगित होने पर निराशा जाहिर की थी। उन्होंने ट्वीटर पर लिखा कि “हम सभी पक्षों से सम्पर्क में हैं और सभी को वार्ता करने को प्रतिबद्ध करने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। मैंने सभी पक्षों को इस अवसर पर नियंत्रण करने का आग्रह किया है और शिरकत करने वालो की सूची पर रज़ामंदी जाहिर कर वार्ता को पटरी पर लेकर आये।”