तालिबान के सह संस्थापक मुल्ला अब्दुल गनी बरदार के नेतृत्व में तालिबानी प्रतिनिधियों ने पाकिस्तान के प्रधानमन्त्री इमरान खान के साथ मुलाकात की थी और अफगान शान्ति प्रक्रिया व अन्य संयुक्त हित के मामलो पर चर्चा की थी। बैठक के दौरान खान ने अफगानिस्तान में शान्ति की जरुरत पर जोर दिया जो क्षेत्रीय स्थिरता के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।
उन्होंने आश्वस्त किया कि काबुल में शांति लाने के प्रयासों को इस्लामाबाद जारी रखेगा। 12 सदस्यीय तालिबानी प्रतिनिधि समूह ने पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी के साथ विदेश विभाग में मुलाकात की थी। उन्होंने इस दौरान अमेरिका और चरमपंथी समूह के बीच शान्ति वार्ता को बहाल करने की मांग की थी।
एक बयान में कुरैशी ने कहा कि “पाकिस्तान दुआ करता है कि अफगानिस्तान में शान्ति और स्थिरता लाने के लिए वार्ता के बहाल होने से एक सुगम मार्ग मुहैया किया जायेगा। किसी भी समस्या का समाधान जंग नहीं है। अफगानिस्तान में शांति की स्थापना के लिए वार्ता ही एकमात्र और सकारात्मक समाधान है।
प्रतिनिधि समूह बुधवार को इस्लामाबाद में आया था और इसके चंद घंटो बाद ही अमेरिका के विशेष राजदूत ज़लमय खलीलजाद इस्लामाबाद पंहुचे थे। इमरान खान ने अमेरिका की यात्रा के दौरान 22 सितम्बर को ज़लमय खलीलजाद से मुलाकात की थी और अफगानिस्तान के मौजूदा हालातो पर चर्चा की थी।
अफगानिस्तान की वैध सरकार पाकिस्तान के इस नए दृष्टिकोण से असमंजस की स्थिति में है और इस्लामाबाद को तालिबान का प्रॉक्सी करार दिया था।
अफगानिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हम्दुल्लाह मोह्बिब ने तालिबान को पाकिस्तान और उसके ख़ुफ़िया विभाग का आईएसआई का एजेंट करार दिया है। विदेशी संबंधों की बैठक में मोह्बिब ने कहा कि “तालिबान पाकिस्तान के प्रॉक्सी है, न सिर्फ पाकिस्तान के बल्कि उसके ख़ुफ़िया विभाग का भी है। अफगानिस्तान कभी पाकिस्तान की हुकूमत को स्वीकार नहीं करेगा।