तालिबान और अफगानी प्रतिनिधियों ने मंगलवार को देश के राजनीतिक भविष्य पर वार्ता के बुनियादी रोडमैप पर रजामंदी जाहिर की है। 18 वर्षों की जंग को समाप्त कर शान्ति प्रयासों की तरफ यह एक महत्वपूर्ण कदम है। अफगानिस्तान में दो दशको से तालिबान और सरकारी सेना की बीच संघर्ष जारी है।
क़तर की राजधानी दोहा में दो दिनों तक अफगानी अधिकारीयों और तालिबानी प्रतिनिधियों के बीच महत्वपूर्ण मामलो पर चर्चा हुई थी। दोनों पक्षों ने नागरिक हताहत को शून्य करने के लिए कार्य करने की जरुरत पर जो दिया है। साथ ही महिलाओं की राजनीति, सामाजिक, अर्थव्यवस्था, शैक्षणिक, सांस्कृतिक मामलो में भागीदारी को सुनिश्चित करने पर भी जोर दिया है।
इस ऐलान अनिवार्य नहीं थी और इसमें सर्वोत्तम शुरूआती बिंदु था जब दोनों पक्षों ने पहले से तय वार्ता के लिए मुलाकात की थी। अफगानिस्तान में हिंसक तनाव को कम करने का ऐलान शायद तत्काल नहीं लिया है। यह तालिबान और अमेरिकी राजदूत ज़लमय खलीलजाद के बीच शान्ति प्रक्रिया को आगे बढाने में मदद करेगा।
अमेरिका और तालिबान के बीच हाल ही में सातवें चरण की मुलाकात हुई थी हालाँकि तालिबान ने अफगान सरकार के साथ सीधे बातचीत से इंकार कर दिया था। तालिबान के मुताबिक अफगानी सरकार अमेरिका के हाथो की कठपुतली है।
तालिबान ने ऐलान किया था कि अफगानी सरकार के साथ बातचीत तभी शुरू होगी जब अमेरिका अफगानिस्तान की सरजमीं से विदेशी सैनिको की वापसी की समयसीमा का ऐलान करेगा।
तालिबान ने अफगानिस्तान में ‘धार्मिक केंद्रों, स्कूलों, अस्पतालों, शैक्षिक केंद्रों, बाजारों, पानी के बांधों और कार्यस्थलों’ पर हमलों को रोककर हिंसा को कम करने पर सहमति जताई है।
माइक पोम्पिओ ने ट्वीटर पर लिखा कि “शान्ति के लिए आंतरिक अफगान वार्ता का आयोजन लम्बे अंतराल के बाद दोहा में हो रहा है। उच्च सरकार, नागरिक समाज, महिलाओं और तालिबानी प्रतिनिधियों को एक टेबल पर एकजुट होकर देखना अद्भुत है।”