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    तापसी पन्नू को मिली संजय लीला भंसाली की फिल्म, दोहरी भूमिका में आएंगी नजर

    एक ऐसी इंडस्ट्री में जहां एक पुरुष अभिनेता को हीरो कहा जाता है, तापसी पन्नू का उद्देश्य इस लिंग-आधारित रूढ़िवाद को तोड़ना है और वह ऐसा धीरे-धीरे और लगातार करने की योजना बना रही हैं। 31 वर्षीय अभिनेत्री का मानना है कि इंडस्ट्री और दर्शकों दोनों से महिला केंद्रित फिल्मों के लिए स्वीकृति, पुरुष और महिला अभिनेताओं के बॉक्स ऑफिस सफलता के बीच की खाई को पाटने में मदद कर सकती है।

    उनके मुताबिक, “मुझे लगता है कि हीरो का कोई लिंग नहीं होता और मैं यह साबित करने की कोशिश कर रही हूँ। हमने इतने सालों तक अपने दर्शकों को यही खिलाया है कि हीरो एक लिंग-आधारित शब्द है और उन्होंने भी इसे स्वीकार किया है। अब परिवर्तन रातों रात नहीं आ सकता, यह धीमा और स्थिर होगा। उन सभी अभिनेत्रियों की तरफ से दृढ़ता की बहुत आवश्यकता है जो परिवर्तन लाने की कोशिश कर रही हैं।”

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    अपनी नवीनतम फिल्म ‘गेम ओवर’ का उदाहरण देते हुए, उन्होंने कहा कि इस थ्रिलर ने 100 करोड़ नहीं कमाए और इस तथ्य को वह स्वीकार करती हैं। वह कहती हैं-“मैं उम्मीद कर रही हूँ कि यह व्यावसायिक रूप से सफल फिल्म बन जाएगी ताकि भविष्य में अन्य लोग जोखिम उठा सकें।”

    अभिनेत्री की पिछली दोनों फिल्में- ‘बदला’ (100 करोड़ से ज्यादा) और ‘गेम ओवर’ (11 करोड़ रूपये) महिला-केंद्रित फिल्में थी और अभिनेत्री को लगता है कि आज महिला संचालित सिनेमा के लिए दर्शक हैं।

    उनके मुताबिक, “हम बदलाव के दौर में हैं। इस स्पेस में सभी प्रकार की अच्छी फिल्मों को स्वीकार किया जा रहा है। जैसे ‘गेम ओवर’ एक डार्क फिल्म थी, इसमें एक नियमित मनोरंजक चीज़ जैसा कोई गीत या कॉमेडी सीन या कुछ भी नहीं था। यह इतनी आकर्षक फिल्म भी नहीं थी लेकिन इसे अच्छी प्रतिक्रिया मिली। ऐसी फिल्मों को दर्शकों से एक खास तरह के विश्वास की आवश्यकता होती है।”

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    ऐसी धारणा है कि ए-लिस्टर वाली मेनस्ट्रीम फिल्में ही दर्शको को सिनेमाघरों तक खींचती हैं लेकिन अभिनेत्री को लगता है कि ऐसी फिल्में चुनना जरूरी नहीं है जो कमर्शियल हो।

    उन्होंने साझा किया-“मैं इतनी आसानी से हार नहीं मान रही और इस दवाब में नहीं आ रही कि मुझे इसी तरह की फिल्में करनी हैं ताकि वे बिक जाये। मैं हर संभव प्रयास कर सीमा को धीरे और स्थिरता से धकेलने के लिए तैयार हूँ। लेकिन मैं अपनी पसंद नहीं बदल सकती क्योंकि यह पारंपरिक फॉर्मूले में नहीं आती है। मैं अपने दर्शक पाकर खुश हूँ, ऐसे दर्शक जो मेरी फिल्मो की पसंद पर विश्वास करें।”

    By साक्षी बंसल

    पत्रकारिता की छात्रा जिसे ख़बरों की दुनिया में रूचि है।

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