अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध और तकनीक मतभेद के आलावा ताइवान विवाद का एक मुद्दा बनकर भर रहा है। चीन ने सोमवार को ताइवान और अमेरिकी अधिकारीयों के बीच मुलाकात का विरोध किया है और कहा कि “अमेरिका स्वायत्त द्वीप से सभी आधिकारिक संपर्क को खत्म कर दे ताकि बीजिंग और वांशिगटन के संबंधों को कोई हानि न पंहुचे।”
इस महीने की शुरुआत में अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन ने ताइवान के सुरक्षा प्रमुख डेविड ली से मुलाकात की थी। साल 1979 से दोनों पक्षों के बीच यह पहली मुलाकात है। इस दौरान अमेरिका ने ताइवान के साथ कूटनीतिक संबंधों की नींव रखी थी।
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लू कांग ने कहा कि “हम ताइवान और अमेरिका के बीच संपर्कों का दृढ़ता से विरोध करते हैं। हमारी स्थिति हमेशा अपरिवर्तित रहेगी। हम अमेरिकी सरकार से आग्रह करते हैं कि वह अखंड चीन सिंद्धांत का पालन करे और दोनों पक्षों के बीच सभी संपर्कों और विनिमय को तत्काल रोक दे ताकि इसका असर हमारे द्विपक्षीय सम्बन्धो और व्यापक महत्वपूर्ण सहयोग पर न पड़े।”
ताइवान को चीन अपने भूभाग का हिस्सा मानता है जिसे एक दिन मुख्यभूमि से जोड़ दिया जायेगा और जरुरत पड़ी तो इसके लिए बल का इस्तेमाल करने से भी नहीं हिचका जायेगा। साल 1949 से ताइवान एक स्वायत्त द्वीप है। माओ के कार्यकाल के दौरन गृह युद्ध में सभी राष्ट्रवादी चीन से भाग गए थे।
अमेरिका ने साल 1979 में ताइवान से सभी कूटनीतिक सम्बन्धो को तोड़ दिया था और चीन के साथ संबंधों की शुरुआत की थी। हालाँकि लोकतान्त्रिक द्वीप के साथ अनौपचारिक सम्बन्ध बरक़रार है। अमेरिका और चीन के बीच जारी व्यापार जंग के बिगड़ते हालातो के दौरान यह दुर्लभ मुलाकात देखने को मिली है।