श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रिपाला सिरिसेना ने तमिल नागरिकों की जमीन को 31 दिसम्बर तक मुक्त करने का आदेश दिया है। ये जमीने देश के उत्तरी और पूर्वी इलाकों में है जो अभी राज्य सरकार के अधिकार में है।
श्रीलंका में तीन दशकों तक सेना और लिट्टे (लिबरेशन टाइगर ऑफ़ तमिल ईलम) के मध्य जंग छिड़ी हुई थी। इस जंग के दौरान सेना ने नागरिकों की जमीन पर अधिग्रहण कर लिया था। इस लड़ाई का अंत मई 2009 में हुआ जिसके तहत इन जमीनों को उनके असल मालिको को सौंपने का आदेश दिया था।
तमिल नेशनल अलायन्स ने राष्ट्रपति सिरिसेना से कहा था कि नौ वर्ष बीत जाने बावजूद इन जमीनों पर सेना ने अधिकार जमा रखा है।
टीएनए ने कहा था कि बिना विलम्ब किये जमीनों को उनके असल मालिकों को सौंप देना चाहिए। उन्होंने कहा सुलह और राष्ट्र एकता के लिए ये महत्वपूर्ण निर्णय सिद्ध होगा।
इस वर्ष के शुरूआती दौर में श्रीलंका की सरकार ने सेना के अधिकार वाली 800 एकड जमीन को वापस भूस्वामियों को सौपने की रणनीति पर अमल किया था। इन जमीनों के असल मालिक तमिल समुदाय के हैं जो पूर्वी प्रांत में रहते थे। सरकार की इस तमिल समुदाय के साथ सुलह प्रक्रिया जारी है।
सरकार का यह निर्णय रिसेट्टलमेंट कमेटी के संसद में 818 एकड़ जमीन को उनके मालिकों को वापस सौंपने के प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद यह आदेश आया ह।
साल 2017 में श्रीलंका की सेना ने कहा था कि साल 1990 के युद्ध में अपने अधिकार में लिए मछली पकड़ने वाले बंदरगाह को अधिकार से मुक्त कर दिया है।
यूएन की रिपोर्ट के मुताबिक पूर्व राष्ट्रपति महिंद्रा राजपक्षे के कार्यकाल में सेना ने 40000 तमिल नागरिकों की हत्या की थ। तीन दशकों से से चल रहे इस युद्ध का अंत साल 2009 में लिट्टे के अंत से हुआ।
लिट्टे का नाम भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या में भी आया था। जिनकी मौत एक समारोह के दौरान मानव बम धमाके में हुई थी।