चेन्नई, 4 जुलाई (आईएएनएस)| तमिलनाडु सरकार की औद्योगिकीकरण विकास योजनाओं को करारा झटका देते हुए मद्रास उच्च न्यायालय ने प्रदेश सरकार द्वारा सितंबर 2013 के बाद तीन कानूनों के अंतर्गत हुए भूमि अधिग्रहण को खारिज कर दिया है।
ये तीन कानून हैं- तमिलनाडु में औद्योगिक उद्देश्य के लिए भूमि अधिग्रहण अधिनियम 1997, भूमि अधिग्रहण पुनर्वास एवं पुनर्सुधार में पारदर्शिता एवं उचित मुआवजा का अधिकार अधिनियम 2013, राज्य कानून बनाकर उचित मुआवजा का अधिकार और भूमि अधिग्रहण पुनर्वास एवं पुनर्सुधार (तमिलनाडु) अधिनियम 2014।
अदालत ने बुधवार के अपने आदेश में अधिग्रहीत की गई भूमि को मुक्त कर दिया और उसे उस उद्देश्य के लिए रख दिया, जिसके लिए उसका अधिग्रहण किया गया था।
यह आदेश उस जमीन पर प्रभावी होगा, जिसे विभिन्न परियोजनाओं के लिए अधिग्रहीत किया गया है और उसका उपयोग नहीं किया गया है।
केंद्र के अधिनियम में धारा 105 के तहत 13 उद्देश्यों के लिए अधिग्रहीत भूमि के लिए अधिनियम के प्रावधानों से छूट दी गई है, जबकि तमिलनाडु सरकार ने धारा 105ए जोड़ दी और राजकीय राजमार्ग, हरिजन कल्याण के लिए और औद्योगिक उद्देश्यों के लिए भूमि अधिग्रहण में छूट प्रदान की है।
अदालत ने कहा कि केंद्र और राज्य के कानून में अंतर पाए जाने पर केंद्र का कानून प्रभावी माना जाएगा। संसद द्वारा भूमि अधिग्रहण के लिए केंद्रीय कानून पारित करने के बाद राज्य के तीन कानून प्रभावी नहीं रहे हैं।