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    चेन्नई, 6 जून (आईएएनएस)| राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा (नीट) में कम अंक लाने वाली दो लड़कियों की खुदकुशी पर दुख व्यक्त करते हुए तमिलनाडु के विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने गुरुवार को प्रवेश परीक्षा को रद्द करने की अपनी मांग दोहराई।

    राज्य की दो किशोर लड़कियों ने नीट की परीक्षा में कम अंक प्राप्त करने के बाद आत्महत्या कर ली, हालांकि उन्होंने पहले अपनी बोर्ड परीक्षा में अच्छे अंक हासिल किए थे।

    यहां जारी एक बयान में पूर्व केंद्रीय मंत्री अंबुमणि रामदास ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि ‘नीट’ चिकित्सा अध्ययन के गांव के युवाओं के सपनों को नष्ट कर रहा है।

    उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को चाहिए कि वह राज्य को नीट से मुक्त करने के लिए तमिलनाडु विधानसभा द्वारा पारित विधेयक को राष्ट्रपति की सहमति दिलाए।

    द्रमुक अध्यक्ष एम.के स्टालिन ने कहा कि एक संघीय सेट-अप में केंद्र सरकार को राज्यों की भावनाओं का सम्मान करना चाहिए।

    स्टालिन ने यह भी कहा कि उनकी पार्टी संसद में इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाएगी।

    राजनीतिक नेताओं ने कहा कि नीट का प्रश्नपत्र केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) के पाठ्यक्रम पर आधारित है, जो राज्य बोर्ड के छात्रों के लिए कठिन माना जाता है।

    उनके अनुसार, केवल वे छात्र जो निजी कोचिंग कक्षाओं में शामिल हो सकते हैं, वे परीक्षाओं को पास करने में सक्षम रहे, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों के गरीब छात्र नीट परीक्षा पास नहीं कर सके।

    नीट से पहले, तमिलनाडु में मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश स्कूल बोर्ड परीक्षा में विद्यार्थियों द्वारा प्राप्त किए गए अंकों पर आधारित होता था।

    By पंकज सिंह चौहान

    पंकज दा इंडियन वायर के मुख्य संपादक हैं। वे राजनीति, व्यापार समेत कई क्षेत्रों के बारे में लिखते हैं।

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