बॉलीवुड में तीन दशक का अनुभव और दो बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का राष्ट्रीय पुरस्कार जीतने के बाद भी, तब्बू कोई नयी फिल्म साइन करने से पहले खुद से बहुत सारे सवाल करती हैं। उन्होंने IANS को बताया-“ये आत्म संदेह नहीं है, लेकिन मैं किसी प्रोजेक्ट के लिए ‘हां’ या ‘नहीं’ कहने से पहले खुद से बहुत सारे सवाल पूछने की कोशिश करती हूँ। मैं निश्चित होना चाहती हूँ, क्योंकि यह मेरे लिए महत्वपूर्ण है। मैं खुद से पूछती हूँ, ‘मैं ऐसा क्यों कर रही हूँ?’, या ‘मैं यह विशेष काम क्यों नहीं करना चाहती’? जब मैं अपने उत्तरों से आश्वस्त हो जाती हूँ, तभी मैं इसके साथ आगे बढ़ती हूँ। हालांकि, एक फिल्म सफल हो रही है या नहीं, ये एक मौका हर कोई लेता है।”
अभिनेत्री ने फिल्म ‘बाज़ार’ (1982) में एक छोटी सी भूमिका करने के लिए पहली बार कैमरा फेस किया, हालांकि उन्हें नोटिस किया गया फिल्म ‘हम नौजवान’ (1985) से, जिसमे उन्होंने देव आनंद की बेटी की भूमिका निभाई थी। बतौर मुख्य अभिनेत्री उनका बॉलीवुड डेब्यू ऋषि कपूर के साथ 1994 की रोम-कॉम ‘पहला पहला प्यार’ से हुआ था। तब से दशकों तक, उन्होंने दो बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के रूप में राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीता है और 2011 में पद्म श्री के साथ भी सम्मानित किया गया है।
तो, सफलता के लिए उनका नुस्खा क्या है? उन्होंने कहा-“जीवन से संतुष्ट होना (सफलता के लिए नुस्खा है)। यदि आप अपने अंतर्ज्ञान और अपने दिल का पालन करने में सक्षम हो गए हैं, और इसके लिए सच्चे हैं कि आप कौन हैं और क्या करते हैं, तो मुझे लगता है कि यह सफलता है। मुझे नहीं पता कि क्या मैंने सफलता का राज़ जान लिया है, लेकिन मैं भाग्यशाली रही हूँ। बेशक, कड़ी मेहनत और ईमानदारी ने भी (मेरी सफलता में) योगदान दिया है।”
अभिनेत्री ने इतने समय में ‘माचिस’, ‘विराट’, ‘हू तू तू’, ‘अस्तित्व’, ‘चांदनी बार’, ‘मकबूल’, ‘चीनी कम’, ‘हैदर’, ‘दृश्यम’ और ‘अंधाधुन’। बाकि उनकी अंतर्राष्ट्रीय परियोजनाओं में मीरा नायर की ‘द नेमसेक’ और एंग ली की ‘लाइफ ऑफ पाई’ शामिल है।
अब वह नितिन कक्कड़ की ‘जवानी जानेमन’ में दिखाई देंगी। इस फिल्म में सैफ अली खान और आलिया फर्नीचरवाला भी अभिनय कर रहे हैं।