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    नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने ड्रोन (Drone) नियम, 2021 को अधिसूचित किया है जिसके तहत लोजिस्टिक्स और परिवहन क्षेत्रों में उपयोग के लिए भारी पेलोड ले जाने वाले ड्रोन को शामिल करने के लिए मानव रहित विमान प्रणाली का वजन 300 किलोग्राम से बढ़ाकर 500 किलोग्राम कर दिया गया है। इसके साथ ही यह नियम ड्रोन टैक्सियों पर भी लागू होंगे।

    इन नियमों की प्रमुख विशेषताओं में कार्गो डिलीवरी के लिए ड्रोन कॉरिडोर का विकास शामिल है। व्यापार के अनुकूल नियामक व्यवस्था की सुविधा के लिए एक मानव रहित विमान प्रणाली संवर्धन परिषद की स्थापना भी की जाएगी।

    पीएम ने की नियमों की सराहना

    प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को कहा कि नियम इस क्षेत्र के लिए एक ऐतिहासिक क्षण की शुरूआत करेंगे। उन्होंने ट्वीट किया कि, ‘नए ड्रोन नियम से स्टार्टअप्स और इस क्षेत्र में काम करने वाले हमारे युवाओं को काफी मदद मिलेगी। यह नवाचार और व्यापार के लिए नई संभावनाएं खोलेगा। यह भारत को ड्रोन हब बनाने के लिए नवाचार, प्रौद्योगिकी और इंजीनियरिंग में भारत की ताकत का लाभ उठाने में मदद करेगा।”

    नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि नियमों का उद्देश्य प्रक्रियाओं को सरल बनाना और ड्रोन संचालन के लिए अनुपालन बोझ को कम करना है।

    आईटी क्षेत्र के निकाय नासकॉम ने इस कदम का स्वागत करते हुए कहा कि यह स्टार्ट-अप और छोटे और मध्यम उद्यमों को ई-कॉमर्स, कृषि, खनन, स्वास्थ्य देखभाल, आपातकालीन प्रतिक्रिया और लोजिस्टिक्स जैसे विभिन्न क्षेत्रों में नवीन-उपयोग के मामलों और अनुप्रयोगों को लाने में सक्षम करेगा।

    कोई सुरक्षा मंजूरी नहीं

    नए नियमों के तहत ड्रोन के लिए किसी भी पंजीकरण या लाइसेंस जारी करने से पहले किसी सुरक्षा मंजूरी की आवश्यकता नहीं लेनी होगी। वहीं फॉर्म या अनुमतियों की संख्या 25 से घटाकर सिर्फ पांच कर दी गई है। साथ ही गैर-व्यावसायिक उपयोग के लिए नैनो ड्रोन और माइक्रो ड्रोन के संचालन के लिए किसी पायलट लाइसेंस की आवश्यकता नहीं होगी।

    भारतीय गुणवत्ता परिषद या किसी अधिकृत परीक्षण इकाई की सिफारिश पर महानिदेशक या उसके द्वारा अधिकृत कोई संस्था ड्रोन के लिए एक प्रकार का प्रमाण पत्र जारी करेगी। अनुसंधान और विकास संस्थाओं के लिए किसी प्रकार के प्रमाण पत्र, विशिष्ट पहचान संख्या, पूर्व अनुमति और दूरस्थ पायलट लाइसेंस की आवश्यकता नहीं होगी।

    ड्रोन के आयात को विदेश व्यापार महानिदेशालय द्वारा नियंत्रित किया जाएगा। भारतीय ड्रोन कंपनियों में विदेशी स्वामित्व पर कोई रोक नहीं होगी।

    डिजिटल स्काई प्लेटफार्म

    पूरी तरह से निर्यात के लिए ड्रोन का आयात और निर्माण अब टाइप प्रमाणन और विशिष्ट पहचान संख्या से मुक्त है। निर्माता और आयातक स्व-प्रमाणन मार्ग के माध्यम से डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म पर अपने ड्रोन की विशिष्ट पहचान संख्या उत्पन्न करने में सक्षम होंगे। सभी ड्रोन का ऑनलाइन पंजीकरण डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म के जरिए ही होगा।

    By आदित्य सिंह

    दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास का छात्र। खासतौर पर इतिहास, साहित्य और राजनीति में रुचि।

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