जम्मू के सतवारी एयरफोर्स स्टेशन में शनिवार-रविवार की मध्यरात्रि के बाद हुए दो धमाकों ने दिल्ली तक सुरक्षा एजेंसियों की नींद उड़ा दी है। इस बात की जांच की जा रही है कि ये एक आतंकी हमला है या ब्लास्ट किसी और कारण से हुआ। धमाके की जांच के लिए राष्ट्रीय जांच एजेंसी को मौके पर भेज दिया गया है। वहीं फरेंसिक विभाग की टीम और खुफिया विभाग भी घटना की जांच में सहयोग कर रहे हैं। आशंका जताई जा रही है कि ये एक आतंकी हमला है और इसमें क्वॉडकॉपर ड्रोन्स के जरिए स्टेशन पर आसमान से पे लोड गिराए गए।
जम्मू के जिस एयरफोर्स बेस पर यह संदिग्ध धमाके हुए हैं, वहां से अंतरराष्ट्रीय सीमा का इलाका 14 किलोमीटर दूरी पर है। धमाके की शुरुआती जांच में ड्रोन के जरिए बेस की एक इमारत और एक ओपन स्पेस में विस्फोटक गिराए जाने का शक जताया जा रहा है। इस बात का शक भी है कि विस्फोटक रात के अंधेरे में कहां गिराए गए, इसका अंदेशा नहीं लग सका लेकिन निशाने पर स्टेशन की टेक्निकल एरिया में रखे एयरफोर्स के हेलिकॉप्टर्स थे। हमले की आशंका ने एयरफोर्स स्टेशन की सुरक्षा पर बेहद गंभीर सवाल खड़ा किए हैं।
5 मिनट के अंतर पर दो धमाके
सूत्रों के मुताबिक, एयरफोर्स बेस पर पहला धमाका रात 1 बजकर 37 मिनट पर हुआ। इसके बाद दूसरा ब्लास्ट 1 बजकर 42 मिनट पर हुआ। हमले के बाद इलाके में हाई अलर्ट घोषित करते हुए सुरक्षा एजेंसियों के अधिकारियों को मौके पर भेजा गया। इस मामले में यूएपीए की धारा 16 और 18 के तहत केस दर्ज किया गया है। रविवार सुबह इस मामले में एनआईए को जांच की जिम्मेदारी दे दी गई है।
देश में पहली बार हुआ इस तरह का हमला!
बड़ी बात ये कि अगर इस बात की पुष्टि होती है कि यह एक आतंकी हमला है तो इसे सुरक्षा पर एक गंभीर सवाल माना जाएगा। देश में पहली बार ड्रोन के जरिए किसी सुरक्षा प्रतिष्ठान पर हमले की आशंका सामने आने लगी है। ड्रोन के जरिए पाकिस्तान की ओर से कई बार हथियार भेजने की साजिशों को बीएसएफ और सेना ने नाकाम किया है। जम्मू से सटे हीरानगर और सांबा जिलों में पाकिस्तान के कई ड्रोन हथियारों के साथ गिराए जा चुके हैं।
पठानकोट के एयरफोर्स स्टेशन पर हो चुका है बड़ा हमला
जम्मू के जैसे ही एक एयरफोर्स बेस पर साल 2016 में पठानकोट में फिदायीन हमला हुआ था। इस हमले में पाकिस्तानी आतंकियों के एक ग्रुप ने एयरफोर्स बेस को निशाना बनाते हुए अटैक किया था। 2 जनवरी 2016 को पंजाब के पठानकोट में हुए इस हमले के दौरान 65 घंटे तक आतंकियों से मुठभेड़ चली थी, जिसमें 7 जवान शहीद हुए थे। वहीं 6 आतंकियों को मार गिराया गया था। इस घटनास्थल से कुल 120 किलोमीटर दूर अब एक और एयरफोर्स स्टेशन (जम्मू) में ब्लास्ट की घटना सुरक्षा पर सवाल उठा रही है।