अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने मंगलवार को सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के साथ टेलीफोन पर बातचीत की थी। इस दौरान दोनों नेताओं ने मानवधिकार के उल्लंघन और ईरान के मसले पर चर्चा की थी। व्हाइट हाउस ने कहा कि “डोनाल्ड ट्रम्प और मोहम्मद बिन सलमान ने मध्य एशिया की स्थिरता में सऊदी अरब की महत्वपूर्ण भूमिका, ईरान पर अत्यधिक दबाव कायम रखने और मानव अधिकार के मसले पर चर्चा की थी।”
बीते वर्ष जमाल खशोगी की हत्या के बाद सऊदी अरब में मानव अधिकार के मसले पर वैश्विक जगत ने काफी आलोचना की थी। द वांशिगटन पोस्ट में जमाल खशोगी कार्यरत थे और सऊदी कार्यकाल के मुखर आलोचक थे। पिछले साल 2 अक्टूबर को तुर्की के इस्तांबुल में स्थित सऊदी अरब दूतावास में जमाल खशोगी की हत्या की गयी थी।
सऊदी अरब ने शुरुआत में पत्रकार की हत्या से पल्ला झाड़ लिया था लेकिन अंतर्राष्ट्रीय दबाव के बाद सऊदी ने की बात कबूल कर ली थी। अमेरिका के खुफिया विभागों के मुताबिक पत्रकार की हत्या में सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन का हाथ था। हालाँकि सऊदी अरब ने इस हत्या में क्राउन प्रिंस की संलिप्तता को खारिज किया है और दोषियों को न्याय के कठघरे में खड़े करने का वादा किया है।
अमेरिका ने तक़रीबन 16 सऊदी के नागरिकों के अमेरिका में आगमन पर प्रतिआबन्ध लगा दिया था। हाल ही में वांशिगटन ने ईरान की इस्लामिक रेवोलूशनरी गार्ड्स को विदेशी आतंकी समूह का दर्जा दिया था ताकि ईरान पर परमाणु कार्यक्रम को बंद करने का दबाव बनाया जा सके।
सऊदी विदेश मंत्रालय के हवाले से स्थानीय न्यूज़ एजेंसी ने लिखा कि “अमेरिका के निर्णय ने सऊदी अरब की अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से लम्बे समय से जारी मांग का पालन किया है जो ईरानी समर्थित आतंकवाद का मामला था।”
साल 2015 में हुई परमाणु संधि को अमेरिका द्वारा तोड़ने के बाद दोनों देशो के मध्य तनाव काफी बढ़ गया है। ईरानी गार्ड्स को आतंकी संगठन करार देने से अमेरिका उन पर अतिरिक्त प्रतिबन्ध लगा सकता है।