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    व्लादिमीर पुतिन और डोनाल्ड ट्रम्प

    वाशिंगटन, 4 मई (आईएएनएस)| अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि उन्होंने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ टेलीफोन पर एक घंटे बातचीत की जिसमें ‘रूसी होक्स’ समेत कई मुद्दों पर बातचीत हुई।

    बीबीसी ने शुक्रवार को बताया कि अमेरिकी राष्ट्रपति ने ट्वीट किया, “राष्ट्रपति पुतिन के साथ लंबी और बहुत अच्छी बातचीत की।”

    ट्रंप ने एक रिपोर्टर को फटकार लगाई, जिसने पूछा कि क्या उन्होंने पुतिन को 2020 के चुनावों में दखल नहीं देने की चेतावनी दी ।

    रूस ने एक बयान में दोनों नेताओं के बीच बातचीत होने की पुष्टि की और कहा कि फोन व्हाइट हाउस की ओर से किया गया था।

    ट्रंप और पुतिन ने इससे पहले अनौपचारिक रूप से पिछले साल दिसंबर में ब्यूनर्स आयर्स में जी-20 समिट के दौरान बात की थी। यह अनौपचारिक वार्ता ट्रंप द्वारा दोनों नेताओं की आधिकारिक बैठक रद्द करने के बाद हुई थी।

    जब एक महिला पत्रकार ने शुक्रवार को व्हाइट हाउस में ट्रंप से यह पूछा कि क्या उन्होंने पुतिन को 2020 के राष्ट्रपति चुनावों में दखल नहीं देने की चेतावनी दी तो उन्होंने उसे ‘बहुत अशिष्ट’ कहा।

    उन्होंने कहा, “हमने इस बारे में चर्चा नहीं की।”

    ट्रंप ने कहा, “देशों के साथ अच्छे रिश्ते रखना अच्छी बात है और हम हर किसी के साथ अच्छे रिश्ते रखना चाहते हैं।”

    लेकिन व्हाइट हाउस की प्रेस सेक्रेटरी सारा सैंडर्स ने कहा कि कथित रूसी दखल के बारे में बहुत संक्षिप्त रूप से इस संदर्भ में चर्चा हुई कि अब यह मुद्दा समाप्त हो चुका है और कोई सांठगांठ नहीं हुई।

    सैंडर्स ने साथ ही यह भी कहा कि ट्रंप और पुतिन ने 2016 राष्ट्रपति चुनाव में कथित रूसी दखल के मामले में विशेष अमेरिकी वकील रॉबर्ट मुलर की जांच के संदर्भ में भी संक्षिप्त रूप से बात की।

    सैंडर्स ने दोनों नेताओं की बातचीत को कुल मिलाकर सकारात्मक बातचीत बताया।

    वेनेजुएला मुद्दे पर की चर्चा

    अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा कि “उनकी शुक्रवार को रुसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ वेनेजुएला के मसले पर काफी सकारात्मक बातचीत हुई थी।” वेनेजुएला की सत्ता से डोनाल्ड ट्रम्प रुसी समर्थित निकोलस मादुरो को उखाड़ कर बाहर फेंकना चाहते हैं।

    व्लादिमीर पुतिन के साथ एक घंटे की बातचीत में डोनाल्ड ट्रम्प ने आश्चर्य ढंग से बेहद मित्रतापूर्ण भाषा का इस्तेमाल किया है। डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा कि “वह बेहद सकारात्मक बातचीत थी। वह भी सब को वेनेजुएला में दखलंदाज़ी करते नहीं देखना चाहते हैं और वह वेनेजुएला में सकारात्मक वातावरण देखना चाहते हैं। मैं भी यही महसूस करता है हम मानवीय सहायता करना चाहते हैं क्योंकि इस समय वहां लोग भूख से जूझ रहे हैं।”

    अमेरिका के राष्ट्रपति का हैरतअंगेज़ बयान उनके वरिष्ठ सलहकार राज्य सचिव माइक पोम्पिओ से उलट है। उन्होंने इस हफ्ते आरोप लगाया था कि समाजवादी मादुरो क्यूबा भागने की तैयारी कर रह था लेकिन रुस ने उससे बातचीत कर रोक लिया था। मादुरो पर दबाव बनाने के लिए 50 से अधिक देशों ने विपक्षी नेता जुआन गाइडो को अंतरिम राष्ट्रपति के तौर पर मान्यता दे दी थी।

    गाइडो ने शनिवार को सैन्य बेस के समक्ष अपने समर्थकों से शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने का आग्रह किया था। हाल ही की रैली में उन्होंने दावा किया कि सेना का समर्थन उनके साथ है। वेनेजुएला में मतभेदों से अमेरिका और रूस के तनाव भी बढ़ गए थे।

    रूस के बयान में कहा कि “आंतरिक मामलो में दखलंदाज़ी विवाद के शांतिपूर्ण सुलह को दरकिनार कर देती है। व्लादिमीर पुतिन के अनुसार सिर्फ वेनेजुएला की जनता को ही अपने देश का भविष्य तय करने का अधिकार है।” अमेरिका ने वेनेजुएला पर प्रतिबन्ध थोप दिए हैं और मादुरो को सत्ता से हटाने के लिए अभियान तीव्र कर दिया है।

    वांशिगटन के अनुसार मादुरो के सत्ता पर गिने-चुने दिन बाकी है लेकिन विशेषज्ञों के मुताबिक, गतिरोध की एक सीमा है और वांशिगटन ने शायद विपक्षी नेता की ताकत का ज्यादा अंदाजा लगा लिया है।

    कार्यकारी रक्षा सचिव पैट्रिक षानहन ने पेंटागन में शुक्रवार को माइक पोम्पिओ, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन और अमेरिकी दक्षिणी कमांड के कमांडर एडमिरल क्रैग फलर की मेज़बानी की थी। गाइडो की योजना के मुताबिक शनिवार को सैन्य दफ्तर के बाहर प्रदर्शनकारियों का हुजूम लगेगा और उनसे मादुरो से नाता तोड़ने के लिए विनती की जाएगी।

    गाइडो ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि “शांतिपूर्ण, नागरिक दृष्टिकोण से हम वेनेजुएला की जनता की मांग को सेना सके समक्ष एक आसान दस्तावेज का ऐलान करेंगे कि जल्द सत्ता के हस्तांतरण के लिए मुक्त चुनावो का आयोजन किया जाये। उन्होंने दावा किया कि बीते वर्ष दोबारा चुनाव अवैध थे।”

    मंगलवार को विपक्षी नेता ने सेना से मादुरो के खिलाफ खड़े होने की अपील की थी। 25 विद्रोही सैनिको को कराकस में स्थित ब्राज़ील के दूतावास ने शरण दी थी। दोदिनों के संघर्ष में चार लोगो की मृत्यु हुई थी और 200 लोग घायल हुए थे। विपक्षी प्रभावी नेता लेओपोल्डो लोपेज़ को घर पर नज़रबंदी से आज़ाद कर दी गया है और सीके बाद उन्होंने स्पेन के दूतावास में बतौर शरणार्थी पनाह ली थी।

    गाइडो को समर्थ कर रहे राष्ट्र बेहद असमंजस की स्थिति का सामना कर रहे हैं। असल बात यह है कि सैन्य नेतृत्व हमलो का विरोध करता है और एकजुट है। यहां दरार जरूर है लेकिन सैन्य नेतृत्व में नहीं। आर्थिक प्रतिबंधों के जरिये अंतर्राष्ट्रीय दबाव मौजूदा सरकार को कमजोर करने का मार्ग है।

    By पंकज सिंह चौहान

    पंकज दा इंडियन वायर के मुख्य संपादक हैं। वे राजनीति, व्यापार समेत कई क्षेत्रों के बारे में लिखते हैं।

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