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    अमेरिका यरूशलम फिलिस्तीन

    अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने हाल ही में फैसला किया था कि वे इजराइल की राजधानी के रूप में यरूशलम को मान्यता देंगे। ट्रम्प के इस फैसले को हालाँकि विश्व के कई देशों ने स्वीकार नहीं किया है। अब संयुक्त राष्ट्र ने भी इसे स्वीकार करने से मना कर दिया है।

    आपको बता दें इससे पहले संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् के 8 सदस्य देशों नें ट्रम्प के इस फैसले के बाद आपातकालीन बैठक बुलाने की बात कही थी। कल हुई इस बैठक में अधिकतर देशों नें माना कि यरूशलम पर फैसले को इजराइल और फिलिस्तीन के बीच बातचीत के जरिये सुलझाना चाहिए।

    बैठक के बाद पांच यूरोपीय देशों ने कहा, “यरूशलम पर फैसला इजराइल और फिलिस्तीन के बीच बातचीत होने पर निकलने वाले फैसले के तहत होना चाहिए।” यूरोपीय देशों का मानना है कि अमेरिकी सरकार इजराइल का पक्ष ले रही है।

    इसके अलावा यूरोपीय देशों नें चेतावनी दी है कि इस फैसले से मध्य-पूर्वी देशों में स्थित के बिगड़ने के आसार हैं। कुछ देशों का मानना है कि ऐसा करने से बड़ी मात्रा में फिलिस्तीन के नागरिक नाराज हो जायेंगे, जिससे इजराइल को खतरा हो सकता है।

    यूरोपीय संघ के मुताबिक इजराइल और यरूशलम का विवाद सिर्फ इस बात पर है कि यरूशलम इजराइल और फिलिस्तीन दोनों की राजधानी है। जब तक दोनों देश इस बात पर समझौता नहीं करते हैं, तब तक यूरोपीय संघ यरूशलम को इजराइल की राजधानी के रूप में मान्यता नहीं देगा।

    हालाँकि इस दौरान अमेरिका की संयुक्त राष्ट्र में प्रतिनिधि निकी हेली नें राष्ट्रपति ट्रम्प के इस फैसले का बचाव किया है। हेली ने इस दौरान संयुक्त राष्ट्र को इजराइल की परिस्थितियों से अवगत कराने की कोशिश की।

    उन्होंने कहा कि पिछले कई सालों से संयुक्त राष्ट्र इजराइल के खिलाफ खड़ा हो रहा है और यह संयुक्त राष्ट्र के सिद्धांतों के खिलाफ है।

    By पंकज सिंह चौहान

    पंकज दा इंडियन वायर के मुख्य संपादक हैं। वे राजनीति, व्यापार समेत कई क्षेत्रों के बारे में लिखते हैं।