संयुक्त राष्ट्र को दूसरी दफा सम्बोधित करते हुए डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा कि सभी देशों के अपने भविष्य कि बेहतरी के लिए अपने अलग विचार है। सभी देश अपने किस्मत के सपनो का पीछा कर रहे है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रों के नक्षत्र की तरह मिलने से दुनिया धनी और मानवता मिसाल बनी है।
परंपरा के मुताबिक ब्राज़ील ने सभा को पहले सम्बोधित किया जिसके पश्चात अमेरिकी राष्ट्रपति सभा से मुखातिब हुए। वर्ष 2016 में अमेरिकी राष्ट्रपति संयुक्त राष्ट्र सभा में देरी से पहुंचे थे नतीजतन उन्हें सम्बोधन से वंचित कर दिया गया।
अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि ट्रम्प प्रशासन ने दो वर्षो से कम के अंतराल में इतना कार्य पूर्ण किया कि जो किसी अन्य प्रशासन ने अमेरिकी इतिहास में नहीं किया किया होगा। उनके इस बयान से सभा में खूब ठहाके लगे।
डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत की बेहद प्रशंसा की। उन्होंने कहा उनके मित्र चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के लिए उनके मन में इज़्ज़त और प्यार है लेकिन दोनों के मध्य व्यापार असंतुलन उन्हें स्वीकार नहीं है। चीन की बाज़ार विकृतियों और सौदे का तरीका वह बर्दास्त नहीं करेंगे।
उनके ये तीखे बोल अमेरिका के चीन से आयातित वस्तुओं पर 200 बिलियन डॉलर का शुल्क लगाने के बाद आये है। संयुक्त राष्ट्र में डोनाल्ड ट्रम्प का सम्बोधन किसी चुनावी प्रचार की तरह था और हो भी क्यों न अमेरिका में नवंबर में मध्यावधि चुनाव है।
उन्होंने कहा कि उनकी सरकार वैश्विक नीति की विचारधारा को नकारती है और देशभक्ति के सिद्धांत को मानती है। उनका यह बयान यूएन के प्रमुख के बयान से उलट है। पिछले साल की सभा में डोनाल्ड ट्रम्प ने उत्तर कोरिया को निस्तेनाबूत करने की धमकी दी थी।
परंपरा के मुताबिक इस साल ईरान पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि ईरान में भ्रष्ट तानाशाही है जो सीरिया में मानवता के विनाश पर अमादा है।
उन्होंने कहा सभी राष्ट्र ईरान पर आर्थिक दबाव बनाकर उसे अलग थलग कर दे। उन्होंने कहा संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद् ( यूएनएचआरसी ) से सदस्यता खारिज करने का मकसद वह साफ़ कर चुके हैं।
अमेरिका तब तक सदस्य्ता बहाल नहीं करेगा जब तक यूएनएचआरसी अपना दायित्व सही तरीके से नहीं निभाता है। अंतर्राष्ट्रीय अपराधी अदालत को भी ट्रम्प ने नहीं बख्शा उन्होंने कहा वैश्विक अदालत गैर चुनावी, गैर जिम्मेदाराना और वैश्विक नौकरशाही बन चुकी है।