अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और इजराइल के राष्ट्रपति बेंजामिन नेतान्याहू गुरूवार को अपनी मौजूदा चिंता ईरान की शत्रुतापूर्ण कार्रवाई पर चर्चा की। व्हाइट हाउस के बयान के हवाले से सिन्हुआ ने बताया कि साझा दोनों नेता साझा राष्ट्रीय सुरक्षा हितों के द्विपक्षीय सहयोग पर चर्चा करेंगे। साथ ही ईरान के क्षेत्र में शत्रुतापूर्ण कार्रवाई से बचने के भी प्रयास किये जायेंगे।
इजराइल-अमेरिका वार्ता
नेतान्याहू ने डोनाल्ड ट्रम्प के साथ टेलीफोन पर बातचीत के बाबत ट्वीट भी किया था। उन्होंने ट्वीट किया कि “मैंने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के साथ बातचीत की थी। हमने क्षेत्रीय विकास और सुरक्षा मामलो पर चर्चा की थी, इसमें सबसे अधिक ईरान के बारे में था। ईरान के खिलाफ प्रतिबंधों को बढाने के ट्रम्प के इरादे के लिए मैंने उन्हें शुक्रिया कहा था।”
अमेरिका और ईरान के बीच सम्बन्ध काफी वक्त से तनावग्रस्त हैं क्योंकि अमेरिका ने साल 2015 में हुई परमाणु संधि से खुद को हटा लिया था। इसके बाद तेहरान पर सभी प्रतिबंधों को वापस थोप दिया था। उन्होंने आरोप लगाया कि ईरान आतंकवाद और संघर्षों का समर्थन करता है।
बुधवार को डोनाल्ड ट्रम्प ने आरोप लगाया कि ईरान काफी लम्बे अरसे से गुपचुप तरीके से यूरेनियम का उत्पादन कर रहा है। साथ ही जल्द तेहरान पर माजिद प्रतिबंधो को थोपने की धमकी दी थी। इसी दिन अमेरिका ने अंतरराष्ट्रीय परमाणु उर्जा एजेंसी की इमरजेंसी बैठक को बुलाया था। ताकि 2015 की परमाणु संधि की मौजूदा स्थिति पर चर्चा की जा सके।
इस संधि पर पांच देशों ने हस्ताक्षर किये थे, इसमें रूस, अमेरिका, ब्रिटेन, चीन और जर्मनी थे और यूरोपीय संघ था। इसका मकसद ईरान के नागरिक उर्जा कार्यक्रम पर अंकुश लगाना था और भविष्य में तेहरान को परमाणु हथियारों को विकसित करने से रोकना था।
आईएईए के जांचकर्ताओं ने 1 जुलाई को निरीक्षित किया कि “ईरान का संवर्धन यूरेनियम 202.8 किलोग्राम से अधिक गया है। अभी यह 20 फीसदी से काफी कम है और यूरेनियम हथियारों के निर्माण के लिए 90 प्रतिशत की जरुरत होती है।”
बीते दो हफ्तों में ईरान ने परमाणु संधि के दो नियमों का उल्लंघन किया है। अमेरिका बातचीत के लिए ईरान को अलग थलग कर मजबूर करना चाहता है।अमेरिका ने कहा कि “अंतरराष्ट्रीय समुदाय को ईरानी शासन को उत्तरदायी ठहराना होगा।”