पाकिस्तान और अमेरिका की आतंकवाद को लेकर मतभेद बढ़ते ही जा रहे हैं। पाकिस्तान की आवाम एक तरफ आर्थिक तंगी से जूझ रही है जबकि दूसरी और आतंकवाद ने उनका जीना मुहाल किया हुआ है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने हाल ही में पाकिस्तान पर आरोप लगाया था कि इस्लामाबाद ने वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर आतंकी हमले के मास्टरमाइंड ओसामा बिन लादेन को पनाह दे रखी थी।
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने इस्लामाबाद में नियुक्त सभी अमेरिकी कूटनीतिज्ञों को राष्ट्रपति के इस आरोप के खिलाफ समन जारी किया है। राष्ट्रपति ट्रम्प ने कहा था कि पाकिस्तान ने अमेरिका से पैसे वसूलने के आलावा अफगानिस्तान में तालिबान की समर्थन और आतंकियों को पनाह देने का कार्य बखूबी किया है।
पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने कहा कि उनके खिलाफ यह बयान बिल्कुल बेबुनियाद और अस्वीकृत हैं। पाकिस्तान और अमेरिका के संबंधों के मध्य खाई बढती जा रही है। हालांकि अमेरिका की दज्स्हीं एशिया रणीनीति में पाकिस्तान एक महत्वपूर्ण राष्ट्र है। अमेरिका के राष्ट्रपति पाकिस्तान के तालिबान को समर्थन करने के आरोप पाकिस्तान पर निरंतर लगाते रहे हैं।
बीते सितम्बर में अमेरिका ने पाकिस्तान की 300 मिलियन डॉलर सैन्य सहायता रोक दी थी, उन्होंने आरोप लगाया कि पाकिस्तान चरमपंथियों और आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई करने में नाकाम रहा है। साथ ही इस वर्ष की शुरुआत में 500 मिलियन डॉलर की मदद भी रोक दी गयी थी।
रविवार को राष्ट्रपति ट्रम्प ने कहा कि पाकिस्तान की सैन्य अकादमी के बगल में ओसामा बिन लादेन को एक आलिशान आवास मुहैया किया गया था, पाकिस्तान में सभी जानते थे कि ओसमा वहां छिपा है। उन्होंने कहा था कि वो (ओसामा) आतंकी पाकिस्तान में मज़े से रह रहा था और हम उन्हें प्रतिवर्ष 1.3 बिलियन डॉलर की मदद कर रहे थे। लेकिन अब पाकिस्तान को आर्थिक मदद नहीं की जाएगी, उन्होंने अमेरिका के लिए रत्ती भर भी काम नहीं किया है।
अमेरिकी राष्ट्रपति ने पाकिस्तान की दुखती नस पर हाथ रख दिया था, पलटवार करते हुए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा कि अमेरिका के आतंकवाद के खिलाफ जंग में जितनी पाकिस्तान ने कुर्बानियां दी है, राष्ट्रपति किसी अन्य ऐसे राष्ट्र का नाम बता दें।
इमरान खान ने कहा कि इस जंग के जख्म आज तक पाकिस्तान के आदिवासी और बेकसूर आवाम भुगत रही है। उन्होंने कहा कि अमेरिका ने अफगानिस्तान की जंग में लगभग एक ट्रिलियन डॉलर खर्च किया लेकिन आज तालिबान पहले से ज्यादा ताकतवर है। उन्होंने कहा कि 9/11 के आतंकी हमले में पाकिस्तान से कोई शामिल नहीं था, फिर भी पाकिस्तान ने आतंक के खिलाफ इस जंग में अमेरिका का साथ देने का फैसला किया था।