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    डोनाल्ड ट्रम्प

    राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने मंगलवार को तुर्की द्वारा रूस से मिसाइल प्रणाली को खरीदने पर अंकारा की निंदा करने से इंकार कर दिया है। इस खरीद पर वांशिगटन द्वारा प्रतिबन्ध लागू करने के कोई संकेत नहीं दिए गए है। शुक्रवार को तुर्की द्वारा एस-400 की डिलीवरी लेने के बाद ट्रम्प ने कहा कि ” पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के कदम के कारण मजबूरन ऐसा कदम उठाना पड़ा है और वह समझते हैं कि क्यों उन्होंने रूस की मिसाइल को खरीदने का चयन किया है।”

    ट्रम्प ने पत्रकारों से कहा कि “मेरी राष्ट्रपति रिचप तैयब एर्दोगन के साथ अच्छे समबन्ध है। यह बेहद मुश्किल हालात है, इस पर कार्य कर रहे है, देखते हैं कि क्या होता है।” ट्रम्प ने इसे जटिल हालात करार दिया है। पेंटागन ने तुर्की को एफ-35 लडाकी विमान उत्पादन कार्यक्रम से हटा दिया है और उन्हें एफ-35 को खरीदने की योजना से वंचित कर दिया है।

    उन्होंने कहा कि “क्योंकि उनके समक्ष रूस में निर्मित मिसाइल का जखीरा है, इसलिए उन्हें 100 विमान खरीदने से वंचित किया जाता है। मैं खाना चाहूँगा कि लॉकहीड खुश नहीं है।” एफ -35 विमानों का निर्माण लॉकहीड मार्टिन कर रहा है।

    कांग्रेस ने प्रतिबंधो का किया आग्रह

    ट्रम्प का बयान कांग्रेस और पेंटागन के विचारों से उलट है कि एफ-35 के साथ  एस-400 सिस्टम अमेरिका और नाटो की वायु प्रणाली के लिए खतरा है। रक्षा सचिव माइक एस्पर ने कहा कि “ट्रम्प काफी लम्बे समय से और बेहद काबिल नाटो का सहयोगी है लेकिन उनका रूस से एस-400 खरीदने का निर्णय गलत है और निराशाजनक है।”

    एस्पर ने कहा कि “एस-400 का अधिग्रहण मूल तौर पर एफ-35 की काबिलियत को नजरंदाज़ करना है। मैं पहले ही तुर्की के रक्षा मंत्री हुलुसी आकार से कहा था कि या तो आप एस-400 रख सकते हैं या एफ-35, दोनों रखना संभव नहीं है।”

    शुक्रवार को आला रिपब्लिकन और डेमोक्रेट सांसदों ने ट्रम्प से तुर्की पर नए प्रतिबंधों को थोपने का आग्रह किया था और सीधे तौर पर एफ-35 कार्यक्रम से तुर्की की भागीदारी को खत्म करने को कहा था। उन्होंने बयान में कहा कि “रूस से एस-400 की डिलीवरी स्वीकार कर राष्ट्रपति एर्दोगन ने पुतिन के साथ जोखिम भरी साझेदारी का चयन किया है और इस बदले दांव पर तुर्की की सुरक्षा, आर्थिक समृद्धता औरे नाटो गठबंधन की अखंडता को लगाया है।”

    डोनाल्ड ट्रम्प ने इस मामले में नरम रुख अपनाया है जबकि उनके प्रशासन ने पूर्व में एस-400 समझौते के प्रति सख्त रवैया अख्तियार किया था। ट्रम्प ने कहा कि “ऐसे भी हालात थे जब तुर्की हमारे साथ बहुत अच्छा था। तुर्की को अन्य मिसाइल प्रणाली खरीदने के लिए मजबूर किया गया है। अब हम उन्हें एफ -35 लडाकू विमान नहीं बेचेंगे।”

    उन्होंने कहा कि “रूस की मिसाइल खरीदने के कारण अब हम उन्हें अरबो डॉलर के विमान को बेचने की अनुमति नहीं देंगे। यह निष्पक्ष हालात नहीं है।” तुर्की ने साल 2009 में अमेरिकी पेट्रियट मिसाइल को खरीदने का आग्रह किया था और ओबामा प्रशासन ने 7.8 अरब डॉलर की इस डील को मंज़ूरी भी दे दी थी।

    अलबत्ता,  इस समझौते के तहत तुर्की ने इस प्रणाली के कुछ उपकरणों को अपने मुल्क में निर्मित करने के लिए आग्रह किया था लेकिन इस पर वांशिगटन ने ऐतराज जताया था।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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