अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अफगान शान्ति वार्ता को मृत घोषित किया और इसका कसूरवार तालिबान को ठहराया है। उन्होंने कहा कि “समूह पहले से अधिक घटक प्रहार करने वाला बन रहा है।” बुधवार को व्हाइट हाउस में पत्रकारों से वार्ता में ट्रम्प ने बातचीत रद्द होने का जिम्मेदार तालिबान को ठहराया।
वार्ता रद्द होने का कसूरवार तालिबान
काबुल में हुए अतानाकी हमले की जिम्मेदारी तालिबान ने ली थी जिसमे एक अमेरिकी सैनिक सहित 12 लोगो की मौत हुई थी। ट्रम्प ने कहा कि “मैं आपसे एक बात कहूँगा, हम तालिबान पर पहले से ज्यादा सख्ती से प्रहार कर रहे हैं। तालिबान ने यह इसलिए किया क्योंकि वे सोचते हैं ऐसा करने से वे वार्ता में अपना प्रभुत्व कायम कर सकेगे।”
उन्होंने कहा कि “जो भी उन्होंने किये वह भयावह था, जब उन्होंने एक महान अमेरिकी सैनिक की हत्या की या 12 मासूम नागरिको को मार दिया, वे बेकसूर लोग थे क्योंकि उसमे अधिकतर नागरिक थे। उन्होंने इसे इसलिए अंजाम दिया ताकि वार्ता में उनकी स्थिति बेहतर हो सके, मैं कहता हूँ उनका खात्मा करो, उन्हें बाहर निकालो। मुझे उनके साथ अब कुछ भी नहीं करना है। उन पर बेहद गहरा प्रहार किया जायेगा।”
राष्ट्रपति ने कहा कि “मैं जानता हूँ कि उन्होंने कहा कि यह एक बड़ी गलती थी और थी लेकिन वह मेरा निर्णय था और अब जो भी हम कर हैं वाही मेरा फैसला है।” डोनाल्ड ट्रम्प तालिबान को डेविड कैंप बुलाने के न्योते को रद्द करने के बाबत बोल रहे हैं।
शनिवार को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की तालिबान के नेताओं और अफगानी समकक्षी के साथ मुलाकात थी लेकिन काबुल में हमले के बाद अमेरिका ने इस मुलाकात को रद्द कर दिया और साथ में शान्ति वार्ता को भी खत्म कर दिया था।
ट्रम्प ने कहा कि समझौता खत्म हो चुका है। अमेरिका ने बताया कि बीते 10 दिनों में उन्होंने 1000 तालिबानी सैनिको की हत्या की है। अफगानिस्तान ने दो बार राष्ट्रपति चुनावो को स्थगित किया है।
अमेरिका अफगानिस्तान की सरजमीं से 5000 सैनिको को 135 दिनों में पांच ठिकानों से वापस बुला लेगा। इसके बदले मे तालिबान ने अलकायदा के साथ संबंधों को तोड़ने और अपनी सरजमीं पर आतंकवादियों को पनाह न देने का वादा किया था।