अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा कि “वह ईरानी राष्ट्रपति हसन रूहानी के साथ बातचीत तैयार है लेकिन इस्लामिक रिपब्लिक के खिलाफ अमेरिकी सैन्य कार्रवाई की अवसर हमेशा बना रहेगा।” ब्रितानी मीडिया से उन्होंने कहा कि जब मैंने राष्ट्रपति का पद संभाला था तो ईरान वो स्थान था जो सबसे अधिक भयावह था।
उन्होंने कहा कि “वह उस समय विश्व में आतंकी राष्ट्रों को सूची में शीर्ष पर शुमार था और अब भी शायद यही हाल है।” सैन्य कार्रवाई के बाबत उन्होंने कहा कि “यहां हमेशा एक अवसर है। क्या मैं करना चाहता हूँ? नहीं, मैं नहीं चाहता लेकिन यहाँ हमेशा अवसर बना रहता है।”
हाल ही में ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खमेनेई ने कहा कि “तेहरान अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के वार्ता के प्रस्ताव के धोखे में नहीं फंसेगा और अपने मिसाइल कार्यक्रम का परित्याग नहीं करेगा।”
अमेरिका ने बीते वर्ष साल 2015 में ईरान के साथ हुई परमाणु संधि से अपना नाम वापस ले लिया था और इसके एक वर्ष पूरे होते ही दोनों मुल्कों के बीच चरम पर है। संधि तोड़ने के बाद अमेरिका ने तेहरान पर सभी प्रतिबंधों को वापस थोप दिया था।
डोनाल्ड ट्रम्प ने इस परमाणु संधि की आलोचना की जो पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के कार्यकाल में की गयी थी। उन्होंने कहा कि “यह संधि स्थायी नहीं है और ईरान के बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम और मध्य पूर्व में संघर्षों में भूमिका को रोकने के लिए पर्याप्त नहीं है। उन्होंने ईरान से बातचीत करने के लिए टेबल पर आने की मांग की ताकि एक नयी संधि की जा सके।
इस टिप्प्णी पर प्रतिक्रिया देते हुए ईरान के सर्वोच्च नेता ने कहा कि “अमेरिका के राष्ट्रपति ने हाल ही में कहा कि मौजूदा नेताओं के साथ ईरान विकास कर सकता है। इसका मतलब वे शासन में परिवर्तन नहीं चाहते हैं लेकिन यह ट्रिक ईरानी अधिकारियो और राष्ट्र को झांसा नहीं दे सकती है।”
डोनाल्ड ट्रम्प ने बीते हफ्ते कहा कि “ईरान के समक्ष इसी नेतृत्व के साथ एक महान देश बनने का मौका है। हम शासन को बदलने की तरफ नहीं देख रहे हैं। मैं इसे स्पष्ट कर देना चाहता हूँ कि हम सिर्फ परमाणु हथियार न होने की तरफ देख रहे हैं।”
ईरान के सर्वोच्च नेता ने कहा कि “सरकार की प्राथमिकता आर्थिक हालातो को सुधारना होनी चाहिए।”