संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् की आगामी महासभा के इतर ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी की अमेरिकी समकक्षी डोनाल्ड ट्रम्प के साथ मुलाकात की कोई योजना नहीं है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अब्बास मौसावी ने कहा कि “हमने इस मुलाकात के लिए कभी योजना नहीं बनायीं थी, न ही हमने न्यूयोर्क में इस तरीके की मुलाकात के बाबत कुछ सोचा है।”
इन हमले के पीछे ईरान का हाथ
व्हाइट हाउस ने रविवार को कहा कि “ट्रम्प न्यूयोर्क में अगले सप्ताह यूएन की बैठक के इतर रूहानी से मुलाकात कर सकते हैं। इसके बावजूद वांशिगटन ने आरोप लगाया कि सऊदी अरब की तेल कंपनियों में इस ड्रोन हमले के पीछे तेहरान कसूरवार है।”
मौसावी ने कहा कि “जैसा कि हमने पहले कहा था अगर अमेरिका परमाणु संधि पर वापस लौट जायेगा और आर्थिक आतंकवाद को खत्म कर देगा तभी वे संयुक्त परिषद् और वार्ता पर वापस आयेंगे।” वह उस परिषद् की तरफ इशारा कर रहे हैं जो साल 2015 की परमाणु संधि के तहत गठित होनी थी। यह कमीशन परमाणु कार्यक्रम को खत्म करने के बदले प्रतिबंधो से राहत प्रदान करेगा।
सऊदी की तेल कंपनियों पर ड्रोन हमले की जिम्मेदारी यमन विद्रोहियों ने ली है। यमन के हौथी विद्रोहियों ने सऊदी अरब के सबसे बड़े तेल उत्पादन स्थलों पर हमला किया है। दोनों देशो के बीच तनाव काफी बढ़ गया था जब अमेरिका ने बीते वर्ष एकतरफा संधि से अमेरिका को बाहर निकाल दिया था।
यूरोपीय ताकते परमाणु संधि को बचाने के लिए प्रयास कर रहे हैं और स्थिति में तनाव को कम कर रहा हैं। फ्रांस के राष्ट्रपति इम्मानुएल मैक्रॉन इन प्रयासों का नेतृत्व कर रहा है और तनाव को कम करने के लिए रूहानी और ट्रम्प के बीच बैठक को प्रस्तावित किया है।
सऊदी अरामको राज्य द्वारा संचालित और नियंत्रित कंपनी है, इसके अधिकतर भाग पर सल्तनत के रिफाइनरी प्रोडक्शन और आयलफील्ड का अधिकार है। रेवेन्यू के मामले में यह वैश्विक स्तर पर सबसे बड़ी कंपनियों में से एक है और विश्व की सबसे अधिक मुनाफा देने वाली कंपनी है।