अमेरिका और अफगानिस्तान के चरमपंथी तालिबान के मध्य जारी जंग में रूस ने शांति वार्ता की बैठक का आयोजन किया था। हालांकि इस बैठक से कोई ख़ास नतीजे निकलकर नहीं आये हैं। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प गुरूवार को अफगानिस्तान की यात्रा कर सकते हैं।
अफगानिस्तान में तैनात अमेरिकी सैनिकों को शुक्रिया अदा करते हुए डोनाल्ड ट्रम्प ने वायु सेना के सचिव से कहा कि में जल्द ही सैनिकों को अमेरिका में वापस देखूंगा या मुमकिन हैं, मैं सैनिकों से अफगानिस्तान में ही मुलाकात करूँ। उन्होंने कहा कोई नहीं जानता क्या होने वाला है।
हाल ही में जंगी इलाकों में अमेरिकी सैन्य कमांडर ने अपना नियमित दौरा किया था लेकिन सुरक्षा के लिहाज से ऐसी यात्राओं के लिए उच्च अधिकारियों को अनुमति नहीं दी जाती है। काफी समय से ट्रम्प ने अफगानिस्तान की यात्रा मुक्कमल नहीं है। हालांकि उपराष्ट्रपति माइक पेन्स ने दिसम्बर में बगराम एयर बेस पर सैनिकों से मुलाकात के लिए पंहुचकर सबकी चौंका दिया था।
अफगानिस्तान में अमेरिका ने लगभग 14 हज़ार सैनिक तैनात किये हुए हैं। यह सैनिक अफगानिस्तान के सैनिकों को प्रशिक्षण में सहायता करते हैं साथ ही इस्लामिक स्टेट जैसे आतंकी समूहों के खिलाफ अभियान के बारे में निर्देश भी देते हैं। तालिबान के लगातार हमलों के बाद अमेरिका के सैनिक साल 2001 में इस अभियान का हिस्सा बने थे। तालिबान का सितम्बर 2011 में वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हुए हमले में भी हाथ था।
हाल ही में रूस ने अफगानिस्तान में शांति और स्थिरता के लिए चरमपंथी तालिबान समूह के साथ शांति वार्ता का आयोजन किया था।
इस बैठक में भारत और अफगानिस्तान के गैर आधिकारिक स्तर के प्रतिनिधि शामिल हुए थे। तालिबान चाहता है कि अफगान सरकार को समर्थन करने वाले अमेरिकी सैनिकों को उनकी सरजमीं से बाहर फेंक दिया जाए। उनके मुताबिक जब तक अफगान की सरजमीं पर विदेशियों का कब्ज़ा है तब तक अफगान में शांति और समृद्धि मुमकिन नहीं है।