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    अमेरिका चीन राष्ट्रपति

    दुनिया के सबसे ताकतवर देश कहे जाने वाले अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इन दिनों एशियाई देशों के दौरे पर है। इस दौरे में डोनाल्ड ट्रंप पांच देशों के प्रमुखों से मुलाकात करेंगे। डोनाल्ड के इस दौरे के पीछे वैसे तो कई सारी वजह है लेकिन सबसे मुख्य वजह उत्तर कोरिया है। उत्तर कोरिया के बीच जारी तनाव को लेकर इन एशियाई देशों का समर्थन पाने के लिए सबसे ताकतवर राष्ट्रपति दौरे पर निकले हुए है।

    जापानदक्षिण कोरिया में जाने के बाद डोनाल्ड ट्रंप अब चीन पहुंचेंगे। वहां पर बीजिंग में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ मुलाकात करेंगे। पूरी दुनिया की नजर इस समय चीन व अमेरिका के दोनों दिग्गजों की होने वाली मुलाकात पर टिकी है। ये मुलाकात ऐसे समय पर हो रही है जब शी जिनपिंग एक सप्ताह पहले ही दुबारा राष्ट्रपति चुने गए है।

    आइए जानते है ट्रंप व शी जिनपिंग के बारे में कुछ खास-

    वर्तमान में चीन व अमेरिका के बीच खुद को ताकतवर देश साबित करने की होड़ मची हुई है। वैसे ये मानने में कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी कि आज सबसे ताकतवर देश चीन व अमेरिका ही है। आए दिन डोनाल्ड ट्रंप चीन को लेकर विवादित टिप्पणी करते है। अमेरिका को चीन से महान बताकर खुद को वैश्विक स्तर पर मजबूत नेता के तौर पर डोनाल्ड ट्रंप उभरना चाहते है।

    अगर ट्रंप के व्यक्तित्व की बात की जाए तो वह एक दंभी व घमंडी व्यक्ति के तौर पर जाने जाते है। ट्रंप को लगता है कि वो अमेरिका ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के सर्वेसर्वा है। वे खुद की पार्टी को भी बौना मानते हुए खुद को तानाशाह के रूप में स्थापित करने में लगे हुए है।

    लेकिन ट्रंप का यह चेहरा चीन को रास नहीं आता है। ट्रंप की अमेरिका के अंदर ही उनकी पार्टी,विपक्ष,मीडिया व आम लोग जमकर आलोचना करते है। वे साथ ही ट्रंप का मजाक बनाते है।

    अगर चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की बात की जाए तो उन्हें चीन के अंदर सर्वमान्य नेता माना जाता है। चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के नेता खुद शी जिनपिंग को महान,बुद्धिमान,ताकतवर व समाजवाद के मसीहा के तौर पर मानते है। वहीं अमेरिका में ट्रंप की रिपब्लिकन पार्टी के लोग ही उनको भला-बुरा कहकर उनकी आलोचना करते है।

    आम तौर पर देखा जाए तो दुनिया के सबसे ताकतवर देशों के प्रमुख डोनाल्ड ट्रंप व शी जिनपिंग दोनों नेताओं के व्यक्तित्व में काफी अंतर है। सबसे ताकतवर राष्ट्रपति होने के बावजूद भी ट्रंप, शी जिनपिंग की तारीफों के पुल कई बार बांध चुके है। ट्रंप, शी को शक्तिशाली व महान नेता कहते है।

    लेकिन अगर शी जिनपिंग की बात की जाए तो उसने ट्रंप को दोस्त के सिवाय कुछ भी नहीं कहा है। यानि कि ट्रंप ने शी के प्रति अपनी चापलूसी दिखाई है लेकिन शी ने कभी भी ऐसा नहीं किया है।

    शी जिनपिंग पढ़ने के भी काफी शौकीन है। कई महान लोगों की किताबों को शी ने पढ़ा है। लेकिन शी ने आजतक डोनाल्ड ट्रंप की किताब को नहीं पढ़ा है। जबकि ट्रंप की इस किताब को अमेरिका में बेस्टसेलर का दर्जा प्राप्त है। शी व ट्रंप के बीच में कई सारे विरोधाभास है।

    जिनपिंग व ट्रंप में है काफी अंतर 

    शी जिनपिंग को चीन में जमीनी व कड़ी मेहनत से बने नेता के तौर पर माना जाता है। शी कम्युनिस्ट क्रांतिकारी नेता के बेटे है। चीन के राष्ट्रपति बनने से पहले शी जिनपिंग ने एक साधारण किसान के तौर पर सात सालों तक गुफा में जीवन व्यतीत किया है। चीन की कम्युनिस्ट पार्टी को शी जिनपिंग ने अपने नेतृत्व से शीर्ष स्तर पर पहुंचाया है।

    दोनों नेताओं की भाषण शैली में भी काफी अंतर है। डोनाल्ड ट्रंप ज्यादातर भाषणों में ‘मैं’ शब्द का प्रयोग करने से नहीं चूकते है। ट्रंप अपने भाषणों में खुद को महान बताते है। वहीं शी जिनपिंग अपने भाषणों में खुद को महान न बताकर देश को महान बताते है।

    शी जिनपिंग लोगों को एहसास कराते है कि सब समान है। व देश की मर्यादा को बनाए रखने के लिए सब समान रूप से मेहनत कर रहे है। जबकि ट्रंप जताते है कि वो ही अमेरिका को महान बना सकते है। इसमें किसी का भी योगदान नहीं हो सकता है।

    शी जिनपिंग को लेकर चीन के लोगों में आकर्षण बना हुआ रहता है। चीन के लोग शी को कई मायनों में ताकतवर व प्रभावी नेता मानते है। वहीं अमेरिका में ट्रंप को ऐसा दर्जा आम लोगों की ओर से नहीं दिया जाता है। अमेरिका में लोग ट्रंप को सर्वमान्य नेता के तौर पर अभी तक स्वीकार नहीं कर पाए है।

    शी जिनपिंग अपने देश चीन के विकास को लेकर बात करते है वहीं ट्रंप खुद को दुनिया में स्थापित करने की कोशिशों में लगे होते है। ट्रंप आम लोगों के विरोध की परवाह न करते हुए मनमाना निर्णय लेते है। जबकि शी जिनपिंग सभी को साथ लेकर चलने में विश्वास करते है।

    अंतर के बावजूद है कुछ समानताएं

    दोनों में इतने अंतर होने के बावजूद भी कुछ समानताओं की झलक देखने को मिलती है। शी जिनपिंग व डोनाल्ड ट्रंप के हाथों में ताकतवर देश की कमान है। दोनों ही नेता खुद के देश को सर्वोपरि मानते है। दोनों ही नेता दुनिया में खुद को ताकतवर व मजबूत नेता के तौर पर स्थापित करने में लगे हुए है।

    अब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की यात्रा को लेकर चीन बेहद उत्सुक नजर आ रहा है। बहुत जल्द ही शी व ट्रंप मुलाकात करने वाले है। इनकी मुलाकात पर ही चीन-अमेरिका का भविष्य निर्भर करेगा। इस दौरान दोनों देशों के बीच तनाव कम करने की कोशिश रहेगी।

    लेकिन डोनाल्ड ट्रंप की चीन यात्रा का मुख्य उद्देश्य उत्तर कोरिया के मुद्दे पर उसे साथ लेना है। ट्रंप अच्छी तरह से जानते है कि उत्तर कोरिया पर दबाव बनाने के लिए चीन का साथ होना बेहद जरूरी है।