डोकलाम विवाद के करीब दो महीने बाद भारत व चीन के बीच में पहली बार बीजिंग में सीमावर्ती वार्ता हुई। विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान के मुताबिक बीजिंग में भारत-चीन सीमा मामलों के परामर्श और समन्वय के लिए कार्य तंत्र का 10 वां दौर शुक्रवार को आयोजित किया गया।
इस बैठक में भारत व चीन दोनों देशों ने सीमा प्रभावित क्षेत्र के स्थिति की समीक्षा की। इस दौरान दोनों देशों ने सैन्य संपर्क को बढ़ावा देने पर विचार-विमर्श किया।
विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी बयान के मुताबिक भारत-चीन के बीच वार्ता रचनात्मक और प्रगतिशील तरीके से आयोजित की गई थी। कुछ महीनों पहले डोकलाम विवाद के चलते दोनों देशों के बीच में भारी तनाव उत्पन्न हो गया था।
दोनों देशों की सेना को इस क्षेत्र में तैनात कर दिया गया था। काफी समय बाद इस डोकलाम विवाद पर दोनों देशों के बीच में सहमति बनी थी। अब उस विवाद के बाद बीजिंग में दोनों देशों के बीच बैठक आयोजित की गई।
सीमा पर शांति बनाए रखना जरूरी
भारत व चीन ने माना कि दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों के निरंतर विकास के लिए सीमा क्षेत्रों में शांति बनाए रखना एक महत्वपूर्ण कदम है। लेकिन इसे जमीनी स्तर पर कैसे लागू किया जा सकता है, ये बेहद जरूरी है। बैठक में तय हुआ कि दोनों देश सैन्य संपर्कों को मजबूती प्रदान करेंगे।
भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में शांति बनाए रखने के लिए परामर्श और समन्वय के लिए एक संस्थागत तंत्र के रूप में साल 2012 में डब्ल्यूएमसीसी की स्थापना की गई थी।
इसकी स्थापना भारत-चीन सीमा पर विवादों के निपटारा करने, दोनों देशों के बीच में सैन्य शांति स्थापित करने और आपसी सहयोग व संवाद को मजबूत करना इसका मुख्य मकसद था।
गौरतलब है कि डोकलाम विवाद के बाद दुनिया की नजर में भारत का स्थिति काफी मजबूत देखी गई है। दुनिया ने माना कि चीन ने भारत के दबाव में आकर चीनी सेना को हटाने का फैसला किया था। दोनों देशों के बीच काफी समय बाद इतनी गंभीर स्थिति बनी थी।