भारत आर चीन के मध्य सैन्य विवादों को सुलझाने के लिए 13 बार बातचीत की जा चुकी है। बीते वर्ष डोकलाम में भारत और चीन की सेना के मध्य मतभेद बढ़ गए थे। भारतीय विदेश मंत्रालय के मुताबिक चीन का डोकलाम पर अवैध गतिविधियाँ एक जबरदस्त लेकिन विफल प्रयास था। यह भारत की सुरक्षा हितों को प्रभावित कर रहा है।
कमीटी ने भूटान और चीन के मध्य 24 बार सीमा बातचीत के बाबत भी बताया है और कहा कि भारत को अपनी स्थिति सुधारने की आवश्यकता है। संसदीय कमिटी ने भारत और चीन के मसले अपनी राय जाहिर की है। पाकिस्तान के आतंकी मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने में चीन की आनाकानी पर समिति ने कहा कि भारत को चीन से संबंधित मानवधिकारों के मुद्दों को उठाना चाहिए।
कमिटी ने डोकलाम में बिना युद्ध के स्थिति को नियंत्रण करने पर समिति ने सरकार की सराहना की है। संसदीय समिति ने बताया कि इस इलाके में कोई पहली बार चीनी घुसपैठ नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि मामला तब बिगड़ा जब चीन की सेना ने अवैध तरीके से सड़क के निर्माण करने का प्रयास किया था।
उन्होंने कहा कि चीनी सीन की इस हरकत का पहले विरोध भूटान की सेना ने किया था, लेकिन चीनी सैनिकों ने भूटानी सैनिकों पर नियंत्रण कर लिया था. इसके बाद भारत को इस मसले में कूदना पड़ा था। चीनी सैनिकों के नियमित तौर पर भारतीय सीमा में दाखिल होने के बाबत संसदीय समिति ने कहा कि दोनों राष्ट्रों के मध्य लिखित सीमा न होने की वजह से ऐसा होता है।
संसदीय समिति ने भारत-चीन सीमा संरचना अधूरी होने पर अफ़सोस व्यक्त किया है और सरकार को हालिया स्थिति सुधाने के लिए विशेष ध्यान देने को कहा है। उन्होंने कहा कि सड़क निर्माण कार्य अभी अपर्याप्त है और सड़क सीमा के निर्माण को प्राथमिकता दी जाए। इस दौरान समिति ने दोनों राष्ट्रों की सड़क सीमा मार्ग की तस्वीरे दिखाई, जिसमे काफी त्रुटियाँ देखने को मिली थी।
रिपोर्ट में कहा कि सीमा सड़कों के हालात जर्जर है, यहाँ तक कि सैन्य साधनों का भार सहने की भी ताकत उन सड़कों में नहीं है। उन्होंने कहा कि साल 1962 की लड़ाई ने चीन ने इसी बात का फायदा उठाया था, भारत को इससे सबक सिखने की जरुरत है।