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    कोरोना के नए वैरिएंट डेल्‍टा प्‍लस का पता लगने के बाद सरकार ने लोगों की टेंशन दूर की है। उसने कहा है कि यह वैरिएंट मार्च से मौजूद है। इससे चिंता की बात नहीं है। इसकी प्रगति पर नजर रखी जा रही है। ‘डेल्टा प्लस’ वैरिएंट कोरोना वायरस के ‘डेल्टा’ या ‘बी1.617.2’ प्रकार में बदलाव होने से बना है। ‘डेल्टा’ वैरिएंट की पहचान पहली बार भारत में हुई थी। यह महामारी की दूसरी लहर के लिए जिम्मेदार था।

    क्या है कोरोना का डेल्टा प्लस वेरिएंट?

    कोरोना वायरस का ‘डेल्टा प्लस’ प्रकार, डेल्टा या ‘बी1.617.2’ प्रकार में उत्परिवर्तन होने से बना है जिसकी पहचान पहली बार भारत में हुई थी। यह महामारी की दूसरी लहर के लिए जिम्मेदार था। हालांकि, वायरस के नए प्रकार के कारण बीमारी कितनी घातक हो सकती है इसका अभी तक कोई संकेत नहीं मिला है। डेल्टा प्लस उस ‘मोनोक्लोनल एंटीबाडी कॉकटेल’ उपचार का रोधी है जिसे हाल ही में भारत में स्वीकृति मिली है।

    कैसे बना डेल्टा प्लस वैरिएंट ?

    डेल्टा प्लस वैरिएंट, डेल्टा वैरिएंट यानी कि बी.1.617.2 स्ट्रेन के म्यूटेशन से बना है। म्यूटेशन का नाम के417एन है और कोरोना वायरस के स्पाइक प्रोटीन में यानी पुराने वाले वैरिएंट में थोड़े बदलाव हो गए हैं। इस कारण नया वैरिएंट सामने आ गया। स्पाइक प्रोटीन, वायरस का वह हिस्सा होता है जिसकी मदद से वायरस हमारे शरीर में प्रवेश करता है और हमें संक्रमित करता है। के417एन म्यूटेशन के कारण ही कोरोना वायरस हमारे प्रतिरक्षा तंत्र (इम्यून सिस्टम) को चकमा देने मे कामयाब होता है। नीति आयोग ने 14 जून को कहा था कि ‘डेल्टा प्लस’ वैरिएंट इस साल मार्च से ही हमारे बीच मौजूद है। हालांकि, ऐसा कहते हुए नीति आयोग ने बताया कि ये अभी चिंता का कारण नहीं है।

    अमरीका में डेल्टा प्लस के 6% मामले

    इंग्लैंड की स्वास्थ्य एजेन्सी पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड के मुताबिक़ के417एन म्यूटेशन के साथ अब तक 63 प्रकार के अलग-अलग वैरिएंट की पहचान की गई है, जिनमें से 6 भारतीय वैरिएंट हैं। पूरे यूनाइटेड किंडम में ‘डेल्टा प्लस’ वैरिएंट के कुल 36 मामले हैं और वहीं अगर अमरीका की बात करें तो वहां 6 प्रतिशत मामले डेल्टा प्लस वैरिएंट के हैं।

    भारत में दूसरी लहर के दौरान कहर ढा चुका कोरोना का डेल्टा वैरिएंट अब पूरी दुनिया में फैल गया है। टीकों की खुराक लेने के बाद भी यह लोगों को शिकार बना रहा है।

    कितना संक्रामक है यह नया वेरिएंट?

    यह वेरिएंट कितना संक्रामक है इसका पता लगाना बेहद जरूरी है ताकि यह पता लगाया जा सके कि यह कितने तेजी से फैल सकता है। जानकार यह मानते हैं कि, इस नए म्यूटेशन से संक्रमित लोगों के अंदर बनने वाले न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडीज की क्वालिटी और क्वांटिटी इस नए वेरिएंट से प्रभावित नहीं हो सकती है। इसीलिए अगर कोई इंसान इस वेरिएंट से संक्रमित होता है यह चिंता का विषय नहीं होगा। विशेषज्ञ मानते हैं कि अभी इस नए वेरिएंट के वजह से भारत में खतरे की घंटी नहीं है।

    By आदित्य सिंह

    दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास का छात्र। खासतौर पर इतिहास, साहित्य और राजनीति में रुचि।

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