भारत सरकार के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट ‘मेक इन इंडिया’ के तहत अब भारतीय रेलवे अपने डीज़ल इंजनों को इलैक्ट्रिक इंजन में तब्दील करेगा।
भारतीय रेलवे अपनी आगे की रणनीति को पर्यावरण के अनुकूल बनाने के लिए लिए अब कई महत्वपूर्ण फैसले ले रहा है। इसी क्रम में अब भारतीय रेलवे अपने डीज़ल इंजनों को इलैक्ट्रिक इंजनों में तब्दील करेगा।
भारत में परिवाहन तथा माल ढुलाई का सबसे बड़ा साधन बन चुका भारतीय रेलवे अब लगभग अपने सभी डीज़ल इंजन को इलैक्ट्रिक इंजन में तब्दील करेगा। एक इंजन के बदलाव में भारतीय रेलवे के ऊपर करीब 2 करोड़ का खर्च आएगा।
इंजन की ताक़त करीब 5000 हार्सपावर बताई जा रही है। इन इंजनों के रखरखाओ में रेलवे को प्रत्येक 18 सालों में करीब 5 करोड़ रुपये प्रति इंजन की दर से ख़र्च करना पड़ेगा।
बताया ये जा रहा कि रेलवे ने अभी तक करीब 2 डीज़ल इंजनों को इलैक्ट्रिक इंजन में परिवर्तित कर दिया है। यह कार्य रेलवे की वाराणसी स्थित डीज़ल लोकोमोटिव वर्क्स (DLW) में सम्पन्न किया गया है।
रेलवे द्वारा ये कहा गया है कि इलेक्ट्रिकरण का सारा काम वर्ष 2022 तक सम्पन्न कर लिया जाएगा। इसी के साथ रेलवे इंजनों रफ्तार में भी 10 से 20 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी देखने को मिलेगी। रेलवे इस समय अपने रूटों का तेज़ी से इलेक्ट्रिकरण कर रहा है।
सूत्रों के अनुसार रेलवे अभी करीब 29000 किलोमीटर की लाइन को इलेक्ट्रिक में तब्दील कर चुका है। इसी के साथ उसे सरकार द्वारा और 13000 किलोमीटर की स्वीकृति मिल चुकी है।
रेलवे की इस योज़ना के अंतर्गत एक ओर जहाँ पर्यावरण को कम नुकसान होगा, वही दूसरी ओर रेलवे अपने अतिरिक्त खर्चों में भी कटौती कर पाएगा। इसी के साथ इंजनों का रखरखाओ पर भी इसका सकारात्मक असर पड़ेगा।