भारतीय रेलवे ने मेक इन इंडिया पहल के तहत पूरे विश्व के सामने के और उदाहरण पेश किया है। इसके अंतर्गत रेलवे ने एक डीजल से चालित ट्रेन को इलेक्ट्रिक ट्रेन में बदला दिया है जिससे इसकी कार्यक्षमता और हॉर्सपॉवर में भी 100 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। प्रधानमंत्री मोदी ने आज ही इसका वाराणसी में उदघाटन किया है।
क्या है इस ट्रेन में ख़ास :
बतादें की एक डीजल लोकोमोटिव को इलेक्ट्रिक में बदलने का काम पहली बार किया गया है और यह भारत में किया गया है तो यह भारत के लिए गर्व की बात है। यह कार्य डीजल लोकोमोटिव वर्क्स संस्था द्वारा वाराणसी में किया गया है। भारतीय रेलवे का कहना है कि पूरी परियोजना एक भारतीय अनुसंधान एवं विकास नवाचार है।
इससे भारत को दोहरा लाभ होगा। पहला तो इसकी आयातित डीजल पर निर्भरता कम होगी और दूसरा इसका कम प्रदुषण कम करने के प्रयासों को सफलता मिलेगी। अतः यह मेक इन इंडिया के लिए स्वागत योग्य कदम है।
डीजल के मुकाबले अधिक शक्तिशाली :
बतादें की डीजल इंजन से इलेक्ट्रिक इंजन में परिवर्तित होने के बाद से इस ट्रेन के इंजन की शक्ति लगभाग 92 प्रतिशत तक बढ़ गयी है। परिवर्तित इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव 2 एक्स 2612 एचपी के दो डीजल लोकोमोटिव के खिलाफ 10,000 एचपी देता है। अधिक शक्तिशाली होने के साथ साथ इलेक्ट्रिक इंजन की डीजल इंजन की तुलना में देखरेख का खर्चा भी कम है।
69 दिनों में परियोजना हुई पूरी :
इसके साथ ही मेक इंडिया ने एक और उपलब्धि दर्ज की जोकि यह है की इस डीजल इंजन को इलेक्ट्रिक इंजन में बदलने में केवल 69 दिनों का समय लगा। यह परियोजना 22 दिसम्बर 2017 को शुरू की गयी थी और यह 28 फरवरी 2018 को इसे ख़त्म भी कर दिया गया था।
ट्रेन 18 भी हुई लांच :
इस डीजल इंजन को बदलने के अलावा हाल ही में भारतीय रेलवे और मेक इन इंडिया पहल ने एक और उपलब्धि दर्ज की जोकि ट्रेन 18 का लांच था। इसे वन्दे भारत एक्सप्रेस भी कहा जाता है। बतादें की यह नवीनतम तकनीकों से भरपूर इंजनलेस ट्रेन है भारत की सबसे तेज ट्रेन है।
इसका भी पूरी तरह भारत में निर्माण किया गया है। अपने ट्रायल रन के दौरान इस ट्रेन ने 180 किलोमीटर की गति पकड़ी थी जोकि भारत की दूसरी ट्रेनों में सबसे ज्यादा है।
भारतीय रेलवे की आगे की है यह योजना :
अपनी इन उपलब्धियों को दर्ज करने के बाद अब प्रदुषण को कम करने की पहल के अंतर्गत पियूष गोयल के नेत्रित्व में अब भारतीय रेलवे अपनी सभी डीजल चलित ट्रेनों को इलेक्ट्रिक ट्रेनों में परिवर्तित करेगा। इससे भारत को आयातित डीजल पर निर्भरता कम करने में सहायता मिलेगी और साथ में प्रदुषण को कम करने में भी मदद मिलेगी जोकि डीजल वाहनों से होता है।