लखनऊ में आयोजित लिटरेरी फेस्ट में अपनी किताब का विमोचन करने आये जेनयू के पूर्व छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार को जमकर विरोध का सामना करना पड़ा। वहां मौजूद भाजयुमो और एबीवीपी के कार्यकर्ताओ ने कन्हैया को देशद्रोही बताते हुए मंच से चले जाने को लेकर जमकर हंगामा किया।
उन्होंने कन्हैया के साथ धक्का मुक्की भी की लेकिन कन्हैया के समर्थको और आयोजकों के घेराबंदी के कारण मामला ज्यादा नहीं बिगड़ पाया। लेकिन फेस्ट में आये लखनऊ विश्वविद्यालय से कन्हैया के समर्थको और विरोध करने वालो के बीच हाथा पाई हुई।
हंगामे के वक्त वहां थोड़े पुलिसकर्मी थे जिन्होंने हालात को देखते हुए अपने अधिकारीयों के पास फोन कर और पुलिस भेजने की पेशकश करते रहे। पर काफी देर बाद वहां फ़ोर्स पहुंची तबतक मंच पर पहुंचे कन्हैया को एसिड अटैक पीड़िताओं ने घेरा बनाकर बचाया। लखनऊ सोसायटी ने एसिड अटैक पीड़िताओं की ओर से चलाए जा रहे रेस्टोरेंट ‘शीरोज’ परिसर में लिटरेरी फेस्ट का आयोजन किया था।
इस फेस्ट में कन्हैया कुमार के किताब “बिहार से तिहाड़” का विमोचन होना था। शाम सात बजे के करीब जैसे कन्हैया मंच पर पहुंचे वहां मौजूद भाजयुमो और एबीवीपी के कार्यकर्ताओ ने उनका विरोध करना शुरू कर दिया। दोनों दलों ने जोर जोर से नारा लगाते हुए कहा कि कन्हैया को मंच पर बोलने नहीं देंगे।
जिस वक्त हंगामा चल रहा था उस वक्त यूपी के पूर्व राज्यपाल मंच पर मौजूद थे। उन्होंने इस घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि इस तरह से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का गला नहीं घोटा जा सकता।
हंगामे के बाद विवाद में घिरे लिटरेरी फेस्ट के आयोजक शमीम ए आरजू का कहना है कि जब अनुमति के लिए आवेदन किया गया था। उस समय प्रशासन को वही नाम बताये गए थे जिनकी स्वीकृति हमें मिल चुकी थी। शमीम ने अपनी बात को रखते हुए कहा कि प्रशासन को नाम बताने के बाद कन्हैया और ओवैसी के नाम जोड़े गए थे।
शमीम ने कहा कि कन्हैया कुमार के कार्यक्रम में जो विविधा उत्पन्न हुई है उसके लिए आयोजक को गलत ठहराना बिल्कुल जायज नहीं है। इसमें सारी गलती प्रशासन की है जिसने सही वक्त पर कार्यवाई नहीं की।