ट्विटर के सीईओ और अन्य शीर्ष अधिकारियों को सूचना प्रौद्योगिकी पर संसदीय पैनल ने 15 फरवरी तक हाज़िर होने का आदेश दिया है। सोशल मीडिया पर “नागरिकों के अधिकारों की रक्षा” करने के संबंध में ट्विटर से समझोता करने के लिए कार्यकारियों को पेश होने के लिए कहा गया है।
संसद पैनल का फैसला :
31 सदस्यों के संसदीय पैनल ने आज एक प्रस्ताव पारित किया है जिसके अनुसार जब तक ट्विटर के शीर्ष अधिकारी भारत आकर उनके सामने पेश नहीं होते तब तक वे ट्विटर के किसी अधिकारी से नहीं मिलेंगे। इसके साथ ही जो ट्विटर के प्रतिनिधि आज संसद में पेश होने के लिए पहुंचे थे, पैनल ने उनसे भी मिलने से मना कर दिया।
क्या है कारण :
इसका कारण यह है की संसद पैनल ने 1 फरवरी को ट्विटर के अधिकारियों से 7 फरवरी को भारत आने को और पेश होने को कहा था लेकिन इस मीटिंग को ट्विटर के अधिकारियों द्वारा कैंसिल कर दिया गया उनके अनुसार उन्हें इस बारे में थोडा जल्दी बताना चाहिए था।
इसके चलते बीजेपी ने ट्विटर पर आरोप लगाया की ट्विटर जैसे किसी भी कंपनी को देश के किसी भी संसथान के आदेश की अवपालना करने का अधिकार नहीं है। अतः अब ट्विटर के शीर्ष अधिकारी जब तक संसद पैनल से आकर नहीं मिलते हैं तब तक यह पैनल ट्विटर के दुसरे अधिकारियों से नहीं मिलेगा।
ट्विटर ने कुछ समय पहले रिपोर्ट में बताया था की वह आने वाले लोक सभा चुनावों के लिए शामिल होने वाले सभी नेताओं और कार्यकारियों के एकाउंट्स की जाँच कर रहा है जोकि जनता से संवाद में होंगे।
फेसबुक की लोकसभा चुनावों के लिए पहल :
सोशल मीडिया में जैसे जैसे उपयोगकर्ताओं की संख्या बढ़ रही है वैसे ही फेक न्यूज़ फैलाने जैसी घटनाएं बढ़ रही हैं। इनके कारण कई समस्याएँ होती हैं। पिछले कुछ समय से फेसबुक एवं व्हाट्सएप दोनों ही फेक न्यूज़ को फैलने से रोकने के लिए विभिन्न प्रयास कर रहे हैं। यह पहल तब शुरू की जब फेक न्यूज़ के कारण सामुदायिक झग़डों की ख़बरें सामने आयी। अब लोक सभा चुनाव आ रहे हैं तो फेक न्यूज़ के फैलने का ज्यादा खतरा है।
अतः फेसबुक ने भारत के पिछले हफ्ते, फेसबुक ने कहा कि वह भारत में राजनीतिक विज्ञापनों के लिए सख्त नियम पेश कर रहा है। तथ्य की जाँच कार्यक्रम को मजबूत करने के लिए नवीनतम कदम न्यूज़ की सटीकता की पुष्टि करने और होक्स के प्रसार को रोकने के उद्देश्य से है।