ट्रिपल तलाक़ पर सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला किया था कि यह कानून के खिलाफ है। इस मामले में रविवार को आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने एक बैठक की थी। इस बैठक में यह माना गया कि ट्रिपल तलाक़ पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला सही है।
ट्रिपल तलाक़ पर पिछले महीने हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने ट्रिपल तलाक़ को अवैध माना था। कोर्ट ने केंद्र सरकार को इस मामले में जल्द से जल्द सख्त क़ानून बनाने को कहा था। कोर्ट के इस फैसले का मुस्लिम महिलाओं ने बड़े स्तर पर सम्मान किया एवं देशभर में खुशियां मनायी।
कोर्ट के इस फैसले का हांलांकि कुछ मुस्लिम संगठनों ने विरोध भी किया था। कुछ लोगों के मुताबिक यह मुस्लिम कानून पर हमला है। देशभर में मुस्लिमों के बीच इस फैसले पर मिली-जुली प्रतिक्रिया रही।
देश की सबसे बड़ी मुस्लिम पार्टी आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कल रविवार को इस मुद्दे पर बातचीत के लिए एक बैठक बुलाई थी। इस बैठक में काफी सुनवाई के बार यह नतीजा निकाला गया कि सुप्रीम कोर्ट का ट्रिपल तलाक़ पर फैसला नीलकुल सही था। हालाँकि बोर्ड ने यह माना कि यदि किसी फैसले की वजह से शर्रियत कानून में किसी प्रकार का बदलाव किया गया, तो इसे स्वीकार नहीं किया जाएगा।
दरअसल ट्रिपल तलाक़ के मुद्दे पर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में के हलफनामा दाखिल किया था। केंद्र सरकार के इस कदम की मुस्लिम बोर्ड ने आलोचना की है और कहा है कि यह उनके धर्म पर हमला है। मौलाना कमाल फारूकी ने कहा कि सरकार का यह कदम उनके धर्म पर हमले जैसा है और मुसलमान इसे कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे।
मुस्लिम बॉर्ड ने यह फैसला भी किया है कि जो भी ट्रिपल तलाक़ देता है, इसका समाज में बहिष्कार किया जाएगा। मुस्लिम महिलाओं और पुरुषों को इसके प्रति जागरूक बनाने के लिए कार्यकर्मों का आयोजन किया जाएगा।
बाबरी मस्जिद पर मुस्लिम बोर्ड ने कहा कि इस मामले में सरकार जल्दबाजी कर रही है। कोर्ट इस मामले में किसी विशेष पार्ट के नेता के कहने पर जल्दबाजी दिखा रही है।