अखिल भारतीय मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने ट्रिपल तलाक़ मुद्दे पर एक बार फिर मोदी सरकार पर निशाना साधा है। ज्ञात हो कि ट्रिपल तलाक़ विधेयक राज्यसभा में विघटन के चलते शीत सत्र में संसद द्वारा पारित नहीं हो सका था।
उन्होंने कहा कि महिलाओं के अधिकार की बात कहकर सरकार केवल इस्लामी शरिया का अपमान करना चाहती है एक सार्वजनिक सभा को संबोधित करते हुए, ओवैसी ने कहा, “महिलाओं के लिए न्याय एक बहाना है, लक्ष्य शरिया है।”
ओवैसी हमेशा ही ट्रिपल तलाक़ के अपराधीकरण प्रावधान पर खुलकर बोलते हुए नज़र आये हैं। उन्होंने कहा कि कि तीन तलाक़ मुद्दे के पीड़ितों के लिए बजट में धन आवंटित किए जाने की जरूरत है, जिससे कि पति के जेल जाने के बाद उनके पास वित्तीय सुरक्षा हो।एआईएमआईएम प्रमुख ने कहा कि महिलाओं को 15 हजार रुपये प्रति माह देने के लिए बजट में पैसा आवंटित किया जाना चाहिए। प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी पर चुटकी लेते हुए उन्होंने कहा, “15 लाख नहीं तो 15 हजार ही दे दो मित्रों।”
ओवैसी ने तीन तलाक़ विधेयक का लोक सभा में भी विरोध किया था। उन्होंने यह कहा था कि तीन तलाक पहले से ही देश में अवैध है इसलिए विधेयक की आवश्यकता ही नहीं है। उन्होंने यह भी कहा था कि विधेयक मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है और इसमें कानूनी ज़रूरतों का अभाव है। उन्होंने आगे कहा कि इस मुद्दे को घरेलू हिंसा बिल में ही शामिल किया जाना चाहिए। एआईएमआईएम प्रमुख ने यह सवाल भी उठाया कि यदि उसके पति को जेल भेज दिया जाए तो पीड़िता को मुआवजा कैसे मिलेगा।
ओवैसी ने कहा कि विधेयक पर उचित परामर्श नही किया गया है। इसी बात को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा, “यह मुस्लिम महिलाओं के लिए एक अन्याय होगा। एक कानून बनाओ, जहां अन्य धर्मों की उन 20 लाख महिलाओं को न्याय दिया जाना चाहिए जिन्हें छोड़ दिया गया है और इसमें हमारी गुजरात की ‘भाभी’ भी शामिल होंगी।”
विवादस्पद ट्रिपल तलाक़ विधेयक के अनुसार आरोपी पति को कड़े दंड का प्रावधान है। यह विधेयक इस महीने की शुरुआत में राज्य सभा मे स्थगित था, क्योंकि ऊपरी सदन को स्थगित कर दिया गया था। यह उम्मीद की जा रही थी कि सरकार बजट सत्र का इंतजार नहीं करेगी और तीन तलाक़ के मुद्दे पर अध्यादेश ला सकती है। हालांकि, अब तक सरकार से कोई आधिकारिक शब्द प्राप्त नहीं हुआ है।