अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने जापान के राष्ट्रपति शिंजो आबे से जी-20 सम्मेलन के इतर शुक्रवार को मुलाकात की थी। इससे एक दिन पूर्व की मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका के राष्ट्रपति विश्व युद्ध के बाद हुई जापान के साथ रक्षा संधि को खत्म करने पर विचार कर रहे हैं। यह संधि दोनों देशों के बीच गठबंधन की रीढ़ की हड्ड़ी है।
फॉक्स न्यूज़ बिज़नेस को बुधवार को दिए इंटरव्यू में डोनाल्ड ट्रम्प ने इस संधि को अन्यायपूर्ण करार दिया था। उन्होंने कहा कि “इस पैक्ट के तहत अगर अमेरिका पर हमला होता है तो जापान को मदद करने की जरुरत नहीं है। अगर जापान पर हमला हुआ तो हम तीसरा विश्व युद्ध लड़ लेंगे।”
उन्होंने कहा कि “हम अंदर जाएंगे और अपनी जान हथेली पर रखकर उनकी रक्षा करेंगे। अगर हम पर हमला होता है तो उन्हें हमारी मदद करने की जरुरत नहीं है। वह इसे किसी भी सोनी टीवी पर देख सकते हैं।” टोक्यों और वांशिगटन व्यापार युद्ध में फंसे हुए हैं।
जापान टाइम्स की रिपोर्ट के मुतबिक, गुरूवार शाम को ट्रम्प जापान पहुंचे थे और उनका स्वागत तूफ़ान, ट्रैफिक कंट्रोल और शहर के प्रदर्शनकारियों ने किया था। वह शुक्रवार से शुरू हो रही जी-20 के सम्मेलन में शरीक होने के लिए पधारे हैं। ट्रम्प नौ द्विपक्षीय बैठकों में शामिल होंगे और उनकी जापान, रूस और चीन जैसे राष्ट्रों से होगी।
आबे ने गुरूवार को नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी और दोनों ने 2+2 की मुलाकात पर सहमति जाहिर की थी। दोनों देशों के रक्षा और विदेश मंत्रियों की मुलाकात इस वर्ष के अंत में प्रधानमंत्री शिंजो आबे की भारत यात्रा से पहले हो जाएगी।
आला स्तर की मुलाकात में सुरक्षा और नीतियों से सम्बंधित मामलो पर चर्चा की जाएगी। इस चर्चा की तारीख को तय नहीं किया गया है लेकिन यह जापानी पीएम की भारत यात्रा से पूर्व हो जाएगी। नरेंद्र मोदी ने भारत के उत्तर पूर्वी भागो में ढांचागत परियोजनाओं में जापानी पीएम की भूमिका की सराहना की है।
पीएम ने विशेषकर उत्तर पूर्वी राज्यों में जापान के कार्यों की सराहना की है। बीते माह हुई बैठक में “एक्ट ईस्ट फोरम” का गठन हुआ था और तीन बैठकों का आयोजन हुआ था और कई परियोजनाओं, पुलों, फारेस्ट प्रोजेक्ट, सड़क निर्माण के परियोजनों की पहल हुई थी।