जापान की दो बड़ी वाहन निर्माता कंपनियां सुजूकी और टोयोटा ने मिलकर एक समझौता किया है। दरअसल ये दोनों दिग्गज कंपनियां भारत में इलेक्ट्रिक कार लाने के लिए एक साथ मिलकर काम करेंगी। एक रिपोर्ट के अनुसार साल 2020 तक भारत दुनिया का सबसे बड़ा कार मार्केट बनने जा रहा है।
आपको बता दें कि सुजुकी कंपनी अपने मारूति ईकाई यूनिट के जरिए कार,वैन और यूटिलिटी व्हीकल्स के क्षेत्र में भारत के आॅटो इंडस्ट्री में 50 हिस्सेदारी रखता है। चूंकि सरकार ने अपनी मंशा स्पष्ट कर दी है कि वो अब देश में प्रदूषण मुक्त परिवहन की शुरूआत करेगी। ऐसे में टोयोटा और सुजूकी ने भारत के लिए ई-कार बनाने के लिए एक दूसरे से बात की है।
टोयोटा और सुजूकी के बीच यह वैश्विक समझौता फरवरी महीने में ही हो चुका है। ये कंपनियां साल 2020 तक भारत में इलेक्ट्रिक वाहन लाने के लिए एक-दूसरे का सहयोग करेंगी। मारुति सुजूकी के चेयरमैन आर सी भार्गव का कहना है कि भारत सरकार ने प्रदूषण मुक्त परिवहन का फैसला लिया है,ऐसे में यहां ई-कारों की नितांत आवश्यकता होगी।
अत: इलेक्ट्रिक वाहनों की नितांज जरूरतों को देखते हुए टोयटा और सुजूकी ने ई-कार निर्माण के लिए संयुक्त समझौता किया है। उन्होंने कहा कि टोयटा-सुजूकी भारत में विनिर्माण यूनिट स्थापित कर जापानी तकनीक के जरिए ई-कारों का निमार्ण करेंगी।
गौरतलब है कि जहां सुजूकी भारत के लिए ई-कारें बनाएगी वहीं टोयोटा कुछ ई-वाहनों की आपूर्ति भी करेगी।
इस कार्य के लिए इन दोनों कंपनियों ने आवश्यक परिस्थितियों का अध्ययन करना शुरू कर दिया है। सुजूकी ने ई-कारों के लिए जार्चिंग स्टेशनों की स्थापना को लेकर सरकार से आवश्यक बातचीत करनी शुरू कर दी है, जिसमें मानव संसाधन से लेकर अनुपयोगी बैटरियों के निपटान आदि शामिल हैं।
वाहन निर्माता कंपनी सुजूकी साल के शुरूआत में बयान दिया था कि वो गुजरात में तोशिबा और डेन्सो के सहयोग से 1151 करोड़ रूपए की लागत वाले लीथियम-आयन बैटरी संयंत्र की स्थापना करना चाहती है। कंपनी ने कहा था कि यह भारत में अपने तरह का पहला संयंत्र होगा। सुजूकी ने कहा कि लीथियम आयन बैटरी के अलावा ई-कारों के लिए बड़े पुर्जों की खरीद भी भारत में ही होगी, ऐसे में मेक इन इंडिया अभियान को बढ़ावा मिलेगा।
नोमूरा रिसर्च इंस्टीट्यूट इंडिया में पार्टनर एवं ग्रुप हेड असीम शर्मा का कहना है कि वाहन निर्माण क्षेत्र की दो दिग्गज कंपनियों टोयोटा और सुजूकी के बीच होने वाला यह समझौता भारत में ई-वाहनों के लिए अनुकूल साबित होगा। गौरतलब है कि भारत सरकार ने एक महत्वाकांक्षी योजना के तहत 2030 तक देश को डीजल-पेट्रोल वाहनों से मुक्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया है।